UP Chunav 2022: क्या कानून का राज ही बन रहा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुख्य मुद्दा, एक नजर

यूपी में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से चुनावी आगाज होने जा रहा है। 2017 की बात करें तो बीजेपी को जबरदस्त कामयाबी मिली थी। क्या बीजेपी उस कामयाबी को दोहराने में कामयाब होगी या सपा गठबंधन, बीजेपी को पटखनी देने में कामयाब होगा। इन सबके बीच हम बताएंगे कि पश्चिमी यूपी में असल मुद्दा क्या है।

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UP Chunav 2022: क्या कानून का राज ही बन रहा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुख्य मुद्दा, एक नजर 
मुख्य बातें
  • 2017 के चुनाव में बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मिली थी जबरदस्त कामयाबी
  • 2022 के चुनाव में सपा और आरएलडी का गठबंधन है
  • अमित शाह कानून के राज की कर रहे हैं बात तो अखिलेश यादव का कहना है कि बीजेपी के पास मुद्दा नहीं

लखनऊ। पश्चिमी यूपी में कानून व्यवस्था चुनावी मुद्दा बना हुआ है। इसी पर सियासी पार्टियां मैदान में जंग लड़ते देखी जा सकती हैं। सत्तारूढ़ दल के सारे बड़े नेता ने इसी मुद्दे को लेकर पिच में डटे हैं। जबकि विपक्षी इसे अलग तरीके से पेश कर रहे हैं।राजनीतिक पंडितों की मानें तो पश्चिमी यूपी के चुनाव से जन मुद्दे गायब हो चले हैं। अब कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर धुव्रीकरण कराने का प्रयास हो रहा है। 2013 में हुए मुजफ्फर नगर के दंगों की यादे ताजा की जा रही हैं। भाजपा की ओर से बताने का प्रयास हो रहा है कि पहले की तस्वीर क्या थी अब क्या बदलाव हुए हैं। हलांकि यह मुद्दे कितने मुफीद हांेगे यह तो 10 मार्च के बाद पता चलेगा।

बीजेपी का कानून के राज पर खास जोर
पहले चरण वाली सीटें जाट और मुस्लिम बाहुल्य हैं। यहां पर भाजपा ने 2017 में क्लीन स्वीप किया था। लेकिन इस बार किसान आंदोलन और सपा और रालोद के गठबंधन से यहां भाजपा को चुनौती मिलती दिखाई दे रही है।भाजपा की ओर से गृहमंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, राजनाथ और योगी ने कमान संभाल रखी है। अमित शाह ने कैराना से प्रचार की शुरूआत की और पलायन का मुद्दा लोगों को याद दिलाया। इसके बाद बुलंदशहर,अलीगढ़ में मफिया अपराधी कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष को घेरने में लगे हैं।


इसके अलावा उनके निशाने पर सपा के प्रत्याशियों की सूची हैं,जिसे बार-बार याद दिलाकर लोगों को झकजोर रहे हैं।  साथ ही मुजफ्फरनगर के दंगों की याद दिला रहे हैं।यह भी बता रहे हैं कि 2014, 2017 फिर 2019 में क्या क्या बदलाव हुए हैं।मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद भाजपा को सत्ता मिली थी।शाह ने मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि वो आज भी दंगों की पीड़ा को भूल नहीं पाए हैं। शाह ने आगे कहा कि अखिलेश सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के समय पीड़ितों को आरोपी और आरोपियों को पीड़ित बना दिया। अखिलेश और जयंत के गठबंधन पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि जयंत और वे साथ-साथ हैं।लेकिन मैं आपको बतना चाहता हूं कि सिर्फ मतगणना तक ही दोनों साथ-साथ हैं। सरकार बनते ही अखिलेश जयंत को बाहर कर देंगे और आजम खान को अपने बगल में बैठा लेंगे। इसके बाद आपको आजम और अतीक ही दिखाई देंगे।

अमित शाह ने अखिलेश यादव पर साधा है निशाना
शाह ने कहा कि आप सभी समझदादार हैं कि अखिलेश के आने पर क्या होगा, आपने टिकट बंटवारा देख लिया होगा।उधर, विपक्ष भी सत्ता पाने के लिए एड़ी चोटी का जो लगाए है। अखिलेश यादव और रालोद मुखिया जयंत चैधरी हर मंच पर एक साथ आ रहे हैं। भाजपा के हर मुद्दे का जवाब दे रहे हैं। दोनों अन्न की पोटली के जरिए किसानों के मुद्दे को जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं। जयंत ने कहा है कि किसानों पर अत्याचार करने वालों व युवाओं को नौकरी के नाम लाठी भांजने वालों, कथनी व करनी में फर्क करने वालों को इस बार सबक सिखाएं। भाजपा पर जिन्ना व अब्बाजान का तर्क देने के अलावा कुछ नहीं है। इस बार आप लोग चूक गए तो अहंकार, घमंड वाले शहंशाह के रंग और बदल जाएंगे।

बीजेपी को मुद्दा विहिन बताते हैं अखिलेश यादव
अखिलेश यादव भाजपा को मुद्दा विहिन बता रहे हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि पांच वर्ष का भाजपा सरकार का कार्यकाल निराशाजनक और विफलताओं से भरा है। जनता कोरोना काल में भाजपा सरकार के समय अस्पतालों की दुर्दशा, इलाज में घोर लापरवाही को तो देख ही चुकी है वह जगह-जगह जलती लाशों के ²श्य भी नहीं भूली है।राजनीतिक पंडित कहते हैं कि मुजफ्फरनगर की कुछ सीटों पर रालोद के सिंबल पर सपा के नेता चुनाव लड़ रहे हैं। यह वोट एक दूसरे को ट्रान्सफर होंगे या नहीं यह तो समय बताएगा। लेकिन गठबंधन की ओर दावा जरूर हो रहा है।पश्चिमी यूपी की राजनीति को करीब से देखने वाले सुनील तनेजा का कहना है कि सभी राजनीतिक दल इस बार भी जाति धर्म पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। जनमुद्दे पीछे छोड़कर कानून व्यस्था का मुद्दा उठाया जा रहा है। हलांकि इन मुद्दों का फायदा कितना मिलेगा यह आने वाला परिणाम बताएगा।


(एजेंसी इनपुट के साथ)

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