Birthday: इंदिरा गांधी की सिफारिश पर अमिताभ बच्‍चन को मिली थी ये फ‍िल्‍म, फ‍िर उसी को मिला राष्ट्रीय पुरस्‍कार

Amitabh Bachchan Birthday: सदी के महानायक अमिताभ बच्‍चन आज (11 अक्‍टूबर) अपना जन्‍मदिन मना रहे हैं। साल 1942 में आज ही के दिन इलाहाबाद में उनका जन्‍म हुआ था।

Amitabh Bachchan Birthday
Amitabh Bachchan Birthday 
मुख्य बातें
  • अमिताभ बच्‍चन आज (11 अक्‍टूबर) अपना जन्‍मदिन मना रहे हैं।
  • साल 1942 में आज ही के दिन इलाहाबाद में हुआ था जन्‍म
  • 1969 में आई फ‍िल्‍म सात हिंदुस्तानी से किया था डेब्‍यू

Amitabh Bachchan Birthday: सदी के महानायक अमिताभ बच्‍चन आज (11 अक्‍टूबर) अपना जन्‍मदिन मना रहे हैं। साल 1942 में आज ही के दिन उत्‍तर प्रदेश के प्रयागराज (तत्‍कालीन इलाहाबाद) में कवि हरिवंश राय बच्‍चन और तेजी बच्‍चन के घर उनका जन्‍म हुआ था। पर्दे पर अमिताभ 51 साल पूरे कर चुके हैं और इन सालों में उनके नाम सबसे ज्‍यादा ब्‍लॉकबस्‍टर फ‍िल्‍मों का र‍िकॉर्ड दर्ज है। 

इसमें कोई शक नहीं कि अमिताभ बच्‍चन ने सफलता की उन बुलंदियों को छुआ है जो हर किसी को नसीब नहीं होती हैं। अमिताभ बच्‍चन को उनके काम के प्रति भूख ने स‍िनेमा के श‍िखर तक पहुंचाया है। 15 फरवरी 1969 से अमिताभ का अभिनय कर‍ियर शुरू थी। इस उन्‍होंने अपनी पहली फ‍िल्‍म सात हिंदुस्तानी साइन की थी। 

अमिताभ फिल्मों में आने से पहले कोलकाता में एक रेडियो एनाउंसर के तौर पर काम करते थे। राजस्‍थान पत्रिका की एक रिपोर्ट की मानें तो कोलकाता से अमिताभ बच्चन मुंबई आए और इस समय उनके पास उनकी मां की सहेली इंदिरा गांधी का लिखा एक सिफारशी खत था जिसकी बदौलत उन्हें उनकी पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी में काम मिला। 

यह अमिताभ बच्‍चन की अकेली ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म थी। इस फ‍िल्‍म को राष्ट्रीय फ‍िल्‍म पुरस्कार से भी नवाजा गया था। इस फ‍िल्‍म के बाद अमिताभ और पहचान मिली 1973 में आई प्रकाश मेहरा की फिल्म जंजीर से। इन चार सालों में अमिताभ ने फ‍िल्‍में तो कीं, लेकिन उनसे कोई खास सफलता उन्‍हें हाथ नहीं लगी। सात हिंदुस्‍तानी के लिए उन्‍होंने अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी और जब फ‍िल्‍म की पेमेंट मिली तो वह सेलेरी से भी कम थी। 

1971 में वह राजेश खन्ना के साथ फिल्म आनंद में नजर आए। इस फिल्म के लिए उन्हें पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। लेकिन जंजीर उनके ल‍िए मील का पत्थर साबित हुई। एंग्री मैन अमिताभ बच्‍चन दर्शकों के द‍िल में बैठ गए।

अपने अभ‍िनय काल में शायद ही ऐसा कोई साल बीता हो जिस साल अमिताभ को हमने पर्दे पर न देखा हो। इन सालों में अमिताभ कभी नहीं थके, अमिताभ कभी नहीं रुके, अमिताभ कभी न‍िराश नहीं हुए। चाहे उनकी शुरुआती फ‍िल्‍म जंजीर, दीवार , मर्द, अमर अकबर एंथॉनी, स‍िलस‍िला, नमक हलाल, मिस्‍टर नटवरलाल, सूर्यवंशम हों या हाल के सालों में आई 102 नॉट आउट, पीकू या वजीर हों, अमिताभ की एनर्जी और काम करने के प्रति लगन एक ही जैसी द‍िखी। 

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