बॉलीवुड में अब भले ही पौराणिक यानी मायथेलॉजिकल कॉन्सेप्ट पर फिल्में नहीं बनती हों लेकिन इस ट्रेंड का कभी बहुत जोर रहा है। और ऐसी फिल्मों की एक खास अभिनेत्री रही हैं अनीता गुहा। आज के दर्शक बीते दौर की इस एक्ट्रेस को नाम से नहीं पहचानेंगे लेकिन 1975 में आई जय संतोषी मां फिल्म में संतोषी मां का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री को भूल नहीं पाए होंगे। बेशक इस किरदार को अमर किया है अनीता गुहा ने।
ऐसे हुई करियर की शुरुआत
अनीता गुहा ने 1950 में तांगावाली के साथ बॉलीवुड में कदम रखा। 1959 में गूंज उठी शहनाई के लिए उनको फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए नामित किया गया था। इसके बाद उन्होंने कई पौराणिक कहानियों पर आधारित फिल्मों में काम किया।
10 साल में 3 बार सीता
1959 में कवि कालीदास के बाद 1961 में संपूर्ण रामायण में अनीता गुहा ने सीता का किरदार निभाया था। फिल्म बड़ी हिट थी। इसके बाद 1965 में श्री राम भरत मिलाप और 1971 में तुलसी विवाह में उन्होंने दोबारा सीता का किरदार निभाया। हालांकि पॉपुलैरिटी मिलने के साथ ही वह ऐसी फिल्मों में टाइपकास्ट हो गईं।
महारानी पद्मिनी का किरदार
1964 में अनीता गुहा ने महारानी पद्मिनी नाम की फिल्म में लीड रोल निभाया था। ये वही कहानी है जिस पर संजय लीला भंसाली ने दीपिका पादुकोण को लेकर पद्मावत बनाई थी। हैरान कर देने वाली बात ये है कि तब इस कहानी को लेकर कोई बवाल नहीं हुआ था।
खुद नहीं बन सकीं मां
यूं तो माणिक दत्ता के साथ अनीता गुहा की शादीशुदा जिंदगी अच्छी थी लेकिन सीता मैया और जय संतोषी मां जैसे किरदार निभाने वाली ये एक्ट्रेस असल जिंदगी में मां बनने से वंचित रह गई। ये बात उनको बहुत सालती थी।
ल्यूकोडर्मा की हुईं शिकार
करियर की ढलान के दौरान अनीता गुहा के चेहरे पर सफेद चकते उभरने लगे थे। इनको छिपाने के लिए वह अक्सर हैवी मेकअप में रहती थीं। हालांकि कभी मेकअप की दीवानी रहीं अनीता गुहा इस स्टेज पर आकर कॉस्मेटिक लुक्स से नफरत करने लगी थीं। 20 जून 2007 को 68 साल की उम्र में दिल के दौरे से उनका निधन हो गया।
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