साल 1975 में फिल्म शोले रिलीज हुई थी जिसमें धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी और संजीव कुमार लीड रोल में थे। रमेश सिप्पी के डायरेक्शन में बनी ये ब्लॉकबस्टर फिल्म आज भी दर्शकों के दिमाग में ताजा है। फिल्म के हीरो- हिरोइन से लेकर इसके विलेन तक ने अपना रोल बेहतरीन तरीके से निभाया था।
फिल्म शायद उतनी कामयाब नहीं होती अगर इसके सभी कैरेक्टर पर सही तरीके से काम नहीं किया गया होता। फिल्म में जय- वीरू की जोड़ी, बसंती- धन्नो की बॉन्डिंग से लेकर विलेन गब्बर सिंह तक को कोई नहीं भूल सकता।
क्या आप जानते हैं कि फिल्म में गब्बर सिंह का रोल निभाने वाले एक्टर अमजद खान इस रोल के लिए पहली पसंद नहीं थे? फिल्म को सलीम खान और जावेद अख्तर ने लिखा था और उन्होंने ही एक्टर्स ढूंढने में डायरेक्टर की मदद की थी। जावेद अख्तर ने बताया था कि गब्बर सिंह उन चंद कैरेक्टर्स में से एक है जिसे लिखना मजेदार था। मुझे बहुत अच्छी तरह याद है कि शोले लिखते समय, मैं बहुत उत्साहित हो जाता था और इस संभावना को दोहराता था कि एक बार जब मैंने दो सीन पूरे लिख लिए, तो अगला सीन गब्बर का होगा।
ये एक्टर थे गब्बर के रोल के लिए पहली पसंद
फिल्म में गब्बर के रोल के लिए एक ऐसे एक्टर की तलाश थी जो इस कैरेक्टर के साथ इंसाफ कर सके। इस रोल के लिए डैनी डेंगजोंगपा पहली पसंद थे और उन्हें इसके लिए साइन भी कर लिया गया था। लेकिन डैनी ने फिरोज खान की फिल्म धर्मात्मा को लेकर कमिटमेंट किया हुआ था जिसके चलते उन्हें 'गब्बर' का रोल छोड़ना पड़ा।
(तस्वीर में एक्टर डैनी डेंगजोंगपा)
ऐसे मिला था अमजद खान को रोल
डैनी ने जब इस रोल को प्ले करने से इंकार कर दिया इसके बाद 'गब्बर' को ढूंढना एक मुश्किल काम था। लेकिन जावेद अख्तर को याद था कि साल 1963 में दिल्ली में हुए एक प्ले 'ऐ मेरे वतन के लोगों' में अमजद खान नाम के एक्टर को देखा था और वो उन्हें बहुत अच्छे लगे थे। जावेद ने सलीम खान को कई बाप उनके बारे में बताया था। सलीम अमजद के पिता जयंत को जनते थे और एक दिन बांद्रा बैंडस्टैंड में उनसे मुलाकात हुई और उन्हें यह रोल ऑफर कर दिया। बता दें कि फिल्म शोले में हीरो- हिरोइन के अलावा विलेन गब्बर के रोल और उनके डायलॉग्स को भी काफी पसंद किया गया था।
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