साल 2010 से लेकर साल 2020 तक, सिनेमा के इन 10 वर्षों में काफी कुछ बदला है। तकनीक बदली है, तरीके बदले हैं, निर्माताओं और दर्शकों का नजरिया बदला है। मसाला फिल्मों से दर्शकों का रुझान कंटेट आधारित फिल्मों की तरफ आया है। स्टार वैल्यू पीछे हुई और नए चेहरों ने मेहनत के बल पर जगह बनाई है। आइये एक नजर ऐसे सितारों पर जिन्होंने सिनेमा का चेहरा बदला है।
हिंदी सिनेमा लगभग 106 साल का हो चुका है। इस लंबे अंतराल में दर्शकों ने इसके तमाम रंग देखे हैं। इन रंगों में न जाने कितने ही सितारों का उतार-चढ़ाव शामिल है। सिनेमा प्रेमियों ने कितनों को फर्श से अर्श पर जाते देखा है और ना जाने कितनों को अर्श से फर्श पर। लेकिन अगर आप पूरे अंतराल पर नजर डालेंगे तो समझ पाएंगे कि कुछ कुछ साल बाद सिनेमा में एक नया दौर शुरू होता है और उसमें नए सितारों का उदय होता है। ऐसा ही एक नया दौर इस वक्त चल रहा है। इस नए दौर में दिग्गजों की बजाय युवा कलाकारों को दर्शक अधिक तरजीह दे रहे हैं।
बीते दस सालों में आयुष्मान खुराना, राजकुमार राव और विक्की कौशल जैसे सितारों ने पहली लाइन में जगह बनाई। इन सितारों ने खान तिकड़ी ही नहीं, अजय देवगन और अक्षय कुमार को अच्छी कहानी और शानदार एक्टिंग के बल पर टक्कर दी और दर्शकों का दिल जीता।
विक्की कौशल ने मसान, रमन राघव 2.0, मेघना गुलजार की राजी, राजकुमार हिरानी की संजू और सर्जिकल स्ट्राइक पर बनी उरी से नई पहचान बनाई। उरी ने तो सफलता के ऐसे झंडे गाड़े कि विक्की कौशन को नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया।
वहीं रण, लव सेक्स और धोखा, काई पो चे, डॉली की डोली, राब्ता, न्यूटन, शादी में जरूर आना, स्त्री, जजमेंटल है क्या जैसी फिल्मों से राजकुमार राव ने दर्शकों को अपना बनाया।
आयुष्मान खुराना की सफलता की कहानी भी ऐसी ही है। 2019 में उनकी तीन फिल्में आईं- आर्टिकल 15, बाला, ड्रीम गर्ल रिलीज हुईं और तीनों ही फिल्मों को सराहा गया। इससे पहले वर्ष उनकी फिल्म अंधाधुन और बधाई हो आई थीं। अंधाधुन के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया। 2012 में उन्होंने विक्की डोनर से शुरुआत की और अलग तरह के विषयों वाली फिल्में करके वह छा गए।
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