मुंबई. 98 साल की उम्र में दिलीप कुमार का निधन हो गया है। साल 1922 में जन्में दिलीप कुमार को एक्टिंग का स्कूल तक कहा जाता था। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि दिलीप कुमार के भाषण से चिढ़कर अंग्रेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया था।
दिलीप कुमार ने इस पूरे वाक्ये का जिक्र अपनी ऑटोबायोग्राफी Substance And Shadow में इसका जिक्र किया है। दिलीप कुमार ने बताया कि 40 के दशक में एक्टर बनने से पहले वह पैसा कमाने का जरिया ढूंढ रहे थे। वह घर पर झगड़ा कर मुंबई से भगकर पुणे चले गए। यहां पर उन्होंने आर्मी कैंटीन में नौकरी करने लगे। दिलीप कुमार कैंटीन में सैंडविच बनाया करता था, जो काफी मशहूर हो गए थे।
जेल में की भूख हड़ताल
दिलीप कुमार ने एक दिन पुणे में स्पीच दे डाली कि आजादी के लिए भारत की लड़ाई एकदम जायज है और ब्रिटिश सरकार गलत। दिलीप कुमार किताब में लिखते हैं, 'फिर क्या था मुझे ब्रिटेन विरोधी भाषण के लिए पुणे के यरवादा जेल भेज दिया गया जहां पर कई सत्याग्रही बंद थे। तब सत्याग्रहियों को गांधीवाले कहा जाता था। दूसरे कैदियों के सपोर्ट में मैं भी भूख हड़ताल पर बैठ गया था।'
ऐसे छूटे जेल से
दिलीप कुमार आगे लिखते हैं, 'सुबह मेरे पहचान के एक मेजर आए तो मैं जेल से छूटा। मैं भी गांधीवाला बन गया था।' आपको बता दें कि दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। उन्होंने साल ने साल 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था।
दिलीप कुमार के निधन के बाद पीएम मोदी, पाक पीएम इमान खान समेत सोशल मीडिया पर कई दिग्गज उन्हें श्रद्धांजलि देने लगे। दिलीप कुमार के अंतिम दर्शन करने शाहरुख खान, रणबीर कपूर, महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और एनसीपी नेता शरद पवार उनके घर पहुंचे।
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