Who is Gunjan Saxena: वायुसेना की पायलट गुंजन सक्सेना की बायोपिक गुंजन सक्सेना: कारगिल गर्ल अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने जा रही है। जान्हवी कपूर स्टारर इस फिल्म के मेकर्स ने इस बात की घोषणा ऑफिशियल तौर पर कर दी है। इस फिल्म में जान्हवी के साथ अंगद बेदी, पंकज त्रिपाठी और नीना गुप्ता भी नजर आएंगे। अंगद जहां जान्हवी के भाई के किरदार में दिखेंगे, वहीं नीना और पंकज उनके माता-पिता का रोल निभाएंगे।
आपको बता दें कि यह फिल्म गुंजन सक्सेना के शौर्य और पराक्रम की गौरवगाथा होगी, जोकि रोंगटे खड़े कर देगी। गुंजन सक्सेना भारत की पहली महिला एविएटर हैं। 18 साल पहले कारगिल युद्ध के दौरान खतरनाक परिस्थितियों के बीच उन्होंने उड़ान भरी। जान्हवी कपूर 'द कारगिल गर्ल' फिल्म में गुंजन सक्सेना का किरदार निभाने जा रही हैं। इस फिल्म के फर्स्ट लुक में वह वर्दी पहने नजर आई थीं।
5 साल की उम्र में देखा कॉकपिट
गुंजन सक्सेना एक ऐसे परिवार में पली बढ़ी जहां उनके अंदर देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर वाले संस्कार आए। उसके पिता और भाई भी सेना में थे, इसलिए उन्होंने भी दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद सशस्त्र सेना में शामिल होने का फैसला किया। जाहिर तौर पर उनके लिए हमेशा से ये एक अहम विकल्प था। 5 साल की उम्र में, उसने पहली बार कॉकपिट को देखा और उसके बाद से, इंडियन एयरफोर्स फाइटर जेट्स उड़ाना उसका सपना था।
ऐसे की थी मदद
1994 में गुंजन उन 25 युवा महिलाओं में से एक बन गईं, जो भारतीय वायु सेना ट्रेनी पायलट के पहले महिला बैच का हिस्सा थीं। हालांकि तब महिला पायलटों को हमलावर हेलीकॉप्टर या फाइटर जेट उड़ाने की इजाजत नहीं थी और महिला पायलटों को 2016 में ही फाइटर स्क्वाड्रन में शामिल किया गया है। लेकिन गुंजन सक्सेना ने साल 1999 में एक मिसाल कायम की। भारतीय वायु सेना (IAF) ने ऑपरेशन सफेद सागर के जरिए भारत को कारगिल युद्ध में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें हेलीकॉप्टर उड़ाकर घायल मरीजों को हॉस्पिटल ले जाने और वॉर ज़ोन में सप्लाई का काम मिला था। पाकिस्तानी सैनिक लगातार रॉकेट लॉन्चर और गोलियों से हमला कर रहे थे लेकिन गुंजन घायल सैनिकों को द्रास और बटालिक की ऊंची पहाड़ियों से उठाकर वापस सुरक्षित स्थान पर लेकर आईं।
भारत सरकार ने दिया शौर्यचक्र
इस ऑपरेशन के बीच, गुंजन सक्सेना ने ऐतिहासिक काम करते हुए अपने विमान से कारगिल में युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरी थी। उनके साहस और बहादुरी का सम्मान करने के लिए, उन्हें भारत सरकार की ओर से शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। जब युद्ध हो रहा था तो वायुसेना को पायलटों की तत्काल आवश्यकता थी और भारतीय वायुसेना ने उन महिला पायलटों को बुलाया, जो इस अवसर पर उठने को तैयार थीं। इन्हीं में से एक थीं गुंजन सक्सेना।
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