श्रवण कुमार राठौड़ के बेटे ने मां को ऐसे दी थी पिता के गुजरने की खबर, दोनों नहीं कर सके अंतिम दर्शन

Shravan Kumar Rathod Demise: संगीतकार श्रवण कुमार राठौर के बेटे अपने पिता के अंतिम दर्शन नहीं कर सके। जब उन्‍हें पिता के गुजरने की खबर मिली तो बहुत मुश्‍किल था मां को इस बारे में बताना।

Sharava- Nadeem
Sharava- Nadeem 
मुख्य बातें
  • 22 अप्रैल की रात ठीक 8:30 बजे श्रवण कुमार राठौर का कोरोना के चलते निधन हो गया।
  • वह माहिम के रहेजा हॉस्पिटल में भर्ती थे और उन्‍हें बीते 48 घंटे से वेंटिलेटर पर रखा गया था।

Shravan Kumar Rathod Demise: हिंदी सिनेमा की फेमस संगीतकार जोड़ियों में से एक नदीम-श्रवण की जोड़ी भी अब हमेशा के लिए टूट गई है। 22 अप्रैल की रात ठीक 8:30 बजे श्रवण कुमार राठौर का कोरोना के चलते निधन हो गया। वह माहिम के रहेजा हॉस्पिटल में भर्ती थे और उन्‍हें बीते 48 घंटे से वेंटिलेटर पर रखा गया था। काफी कोशिशों के बाद भी डॉक्टर्स की टीम उन्हें बचा नहीं पाई। संगीतकार श्रवण कुमार राठौर के बेटे अपने पिता के अंतिम दर्शन नहीं कर सके। जब उन्‍हें पिता के गुजरने की खबर मिली तो बहुत मुश्‍किल था मां को इस बारे में बताना। 

दरअसल, श्रवण राठौर की वाइफ और बड़ा बेटा दोनों अंधेरी के सेवन हिल्स हॉस्पिटल में भर्ती हैं और कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। इस वजह से वह उनके अंतिम संस्‍कार में शामिल नहीं हुए। हालांकि टाइम्‍स ऑफ इंडिया से एक्‍सक्‍लूसिव बातचीत में श्रवण के बेटे संजीव ने बताया कि कैसे उन्‍होंने अपने पिता के गुजरने की बात मां को बताई। 

संजीव ने बताया, 'मैं रहेजा अस्‍पताल के टच में था लेकिन पिता की सेहत नहीं सुधर रही थी। 24 घंटे से उनकी सेहत में बिलकुल सुधार नहीं हो रहा था। आखिरकार वह जिंदगी की जंगर हार गए। मुझे कहा गया कि मैं अपने घर बता दूं। लेकिन समस्‍या तो यही थी कि मैं मां को कैसे बताता।'

संजीव आगे बताते हैं- 'पहले मैंने सोचा कि कुछ समय के लिए मां को इस बात की जानकारी ना दूं लेकिन जब मैंने अपनी चाची सोनाली और चाचा रूप कुमार से बात की तो उन्‍होंने कहा कि इस बात को छुपाना नहीं चाहिए क्‍योंकि खबर मीडिया में आ जाएगी। इसके बाद मैंने चाचा-चाची के साथ परिवार के कुछ और सदस्‍यों को Conference Call पर लिया और मां को जानकारी दी। इसके बाद मां बुरी तरह टूट गईं। उन्‍हें संभालना मुश्‍किल  था। मैंने उनसे कहा कि अब आपको ही मेरा पिता और मेरी मां होना है।'

बता दें कि नदीम-श्रवण की जोड़ी का 1990 के दशक में म्यूजिक वर्ल्ड में खूब दबदबा था। फिल्म आशिकी में उनके रोमांटिक गानों की धुन बेहद लोकप्रिय हुईं थी। दोनों ने मिलकर साजन, साथी, दीवाना, फूल और कांटे, राजा, धड़कन, दिलवाले, राज, राजा हिंदुस्तानी, दिल है कि मानता नहीं, सड़ी जैसी फिल्मों में काम किया, जिसके गाने खूब पॉपुलर हुए। पहली बार इस जोड़ी ने 1979 में भोजपुरी फिल्म 'दंगल' में अपना संगीत दिया था। लेकिन नदीम-श्रवण को पहचान मिली फिल्म 'आशिकी' से।

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