Kader Khan Birthday: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और जितेंद्र जैसे बड़े अभिनेताओं को स्थापित करने वाले जाने माने एक्टर, संवाद लेखक कादर खान का आज (22 अक्टूबर) जन्मदिन है। आज ही के दिन साल 1937 में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में उनका जन्म हुआ था। कादर खान ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके जन्म से पहले उनके तीन भाई चल बसे थे। उनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा था। इसके बाद उनके माता-पिता अफगानिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे।
कादर खान ने 31 दिसंबर 2018 को आखिरी सांस ली और 01 जनवरी 2019 को उनके निधन की खबर भारत आई। निधन के वक्त वह अपने बेटे सरफराज के पास कनाडा में थे। कादर खान ने लगभग 300 फिल्मों में काम किया और लगभग 200 फिल्मों को लिए स्क्रीन प्ले लिखा। 1970 से उन्होंने बॉलीवुड के हर बड़े कलाकार के साथ काम किया है। उन्हें अमिताभ बच्चन को एंग्रीमैन बनाने का श्रेय भी जाता है। कादर खान ने ही शहंशाह जैसी फिल्म के डायलॉग लिखे थे।
कादर खान की एक इच्छा मरते वक्त तक पूरी नहीं हुई। बीबीसी से खास बातचीत में कादर खान ने बताया था- मैं अमिताभ बच्चन, जया प्रदा और अमरीश पुरी को लेकर फिल्म जाहिल बनाना चाहता था। उसका निर्देशन भी मैं खुद करना चाहता था। लेकिन खुदा को शायद कुछ और ही मंजूर था। इसके फौरन बाद फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन को चोट लग गई और फिर वो महीनों अस्पताल में भर्ती रहे। अमिताभ के अस्पताल से वापस आने के बाद कादर खान अपनी दूसरी फिल्मों में बहुत ज्यादा व्यस्त हो गए।
कादर खान की मां उन्हें पढ़ने के लिए मस्जिद भेजा करती थीं लेकिन वह मस्जिद से भागकर कब्रिस्तान चले जाते थे। वहां पर वह घंटों चिल्लाते थे। एक रात कादर खान चिल्ला कर रहे थे तभी वहां पर से गुजर रहे किसी ने पूछा कब्रिस्तान में क्या कर रहे हो? कादर बोले- मैं दिन में जो भी अच्छा पढ़ता हूं रात में यहां आकर बोलता हूं। ऐसे मैं रियाज करता हूं। वह शख्स अशरफ खान थे जो फिल्मों में काम करते थे। उन्होंने पूछा नाटक में काम करोगे?
अशरफ खान को एक नाटक की लिए ऐसे ही लड़के की तलाश थी। उन्होंने कादर खान को रोल दे दिया। एक नाटक में दिलीप कुमार की नजर कादर खान पर पड़ी थी। दिलीप कुमार ने उन्हें अपनी फिल्म सगीना के लिए साइन कर लिया। राजेश खन्ना ने कादर खान को फिल्म रोटी में बतौर डायलॉग राइटर ब्रेक दिया था। इसके बाद उन्होंने राजेश खन्ना की फिल्म जैसे- महाचोर, छैला बाबू, धर्मकांटा, फिफ्टी-फिफ्टी, मास्टरजी जैसी फिल्मों के लिए डायलॉग लिखे।
1970 और 75 के बीच वह सिविल इंजीनियरिंग के प्रफेसर थे और इसी के साथ ही नाटकों में भी काम करते थे। अपने करियर में उन्होंने तमाम अवॉर्ड जीते। इनमें बेस्ट कॉमेडियन और बेस्ट डायलॉग राइटर के अवॉर्ड भी शामिल हैं। 2013 में उनको साहित्य शिरोमणि से भी नवाजा गया।
हम नहीं तीर और तलवार से मरने वाले, कत्ल करना है तो तो एक तिरछी नजर काफी है... - हम
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