बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी आज एक जाना-पहचाना नाम है। उन्होंने अपनी शानदार एक्टिंग के दम पर कामयाबी की बुलंदियों को छुआ है। हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब मनोज आत्महत्या करने के करीब पहुंच गए थे। उनके मन में आत्महत्या के ख्याल नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में तीन बार रिजेक्ट होने के बाद आना शुरू हुए थे। ऐसे हालात में मनोज के दोस्तों ने उनका काफी ध्यान रखा। दोस्त उन्हें अकेला नहीं छोड़ते थे और उनके बगल में सोते थे। मनोज ने यह चौंकाने वाला खुलासा हाल ही में ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे से बातचीत के दौरान किया।
शूल, गैंग्स ऑफ वासेपुर, अलीगढ़ और स्पेशल 26 जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी की लौहा मनवा चुके मनोज बचपन से ही एक्टर बनने की ख्वाहिश रखते थे। उन्होंने बिहार के बेतिया से अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी होने पर दिल्ली का रुख किया। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के बाद थिएटर करना शुरू कर दिया जिसकी उनके परिवार वालों को कोई अंदाजा नहीं था।
वह एनएसडी में एडमिनश लेना चाहते थे लेकिन निराशा हाथ लगी। मनोज ने कहा, 'मैंने एनएसडी में अप्लाई किया मगर मैं तीन बार रिजेक्ट हुआ। मैं आत्महत्या करने के काफी करीब पहुंच गया था। इसी वजह से मेरे दोस्त मेरे पास सोते थे और मुझे अकेला नहीं छोड़ते थे। जब तक मैं स्थापित नहीं हो गया वो मुझे प्रेरित करते रहे।
मनोज बाजपेयी को शेखर कपूर की 'बैंडिट क्वीन' फिल्म से पहला ब्रेक मिला था। साल 1996 में रिलीज हुई इस फिल्म में उन्होंने अपनी जबरदस्त छाप छोड़ी थी। 'बैंडिट क्वीन' के बारे में बात करते हुए मनोज ने कहा कि उस साल मैं एक चाय की दुकान पर था जब तिग्मांशु अपने खटारा से स्कूटर पर मुझे देखने आया था। शेखर कपूर मुझे 'बैंडिट क्वीन' में कास्ट करना चाहते थे तो मुझे लगा मैं रेडी हूं और मुंबई आ गया। मनोज ने कहा मुंबई के संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि किराए के पैसे निकालने में भी दिक्कत होती थी। कई बार तो वडा पाव भी महंगा लगता था। लेकिन मेरी पेट की भूख मेरे सफल होने की भूख को कभी मिटा नहीं सकी।
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