OM Puri Death Anniversary: हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता ओम पुरी चार साल पहले आज ही के दिन (6 जनवरी 2017) को इस दुनिया से रुख़सत हो गए थे। 18 अक्टूबर 1950 को पैदा हुए ओम पुरी ने पर्दे पर हर तरह के किरदार को जीवंत कर दिया। 200 से अधिक फिल्मों में काम करने वाले ओम पुरी ऐसे अभिनेता थे जिन्हें हर फिल्म में बिना किसी ऑडिशन के रोल दिए गए। हालांकि सच ये है कि अभिनय का विश्वविद्यालय कहे जाने वाले ओम पुरी कभी एक्टर नहीं बनना चाहते थे, वह तो पटरियों पर ट्रेन दौड़ाना चाहते थे।
बचपन में ओम पुरी जहां रहते थे, उसके पीछे रेलवे का यार्ड था। वो रात में घर से जाकर यार्ड में जाकर किसी ट्रेन में सोने चले जाते थे। उन्हें ट्रेनों से काफी लगाव था और वो ट्रेन ड्राइवर बनना चाहते थे। लेकिन इसके बाद वो अपनी ननिहाल पटियाला चले गए और यहीं से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। यहां उन्होंने स्कूल में आयोजित नाटकों में हिस्सा लिया और उनका रुझान अभिनय की तरफ हो गया।
ओमपुरी ने खालसा कॉलेज से आगे की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया और एक वकील के यहां मुंशी की नौकरी करने लगे। उनका नाटकों में काम करना जारी था, तो एक बार नाटक के चक्कर में काम पर नहीं गए। इस कारण वकील ने भी उन्हें नौकरी से निकाल दिया। जब यह बात खालसा कॉलेज के प्राचार्य को पता चली, तो उन्होंने ओमपुरी को कैमिस्ट्री लैब में सहायक की नौकरी दे दी। इसके बाद वह पंजाब कला मंच नामक नाट्य संस्था से जुड़ गए। लगभग तीन वर्ष तक पंजाब कला मंच से जुड़े रहने के बाद ओमपुरी ने दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिला ले लिया।
घासीराम कोतवाल से किया डेब्यू
ओम पुरी ने 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी। बाद में ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रुप “मजमा” की स्थापना की। उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत मराठी नाटक पर आधारित फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से की थी। वर्ष 1980 में रिलीज फिल्म “आक्रोश” ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। ओमपुरी ने बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड में भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। ‘ईस्ट इज ईस्ट’, ‘माई सन द फैनेटिक’, ‘द पैरोल ऑफिसर’, ‘सिटी ऑफ जॉय’, ‘वोल्फ’, ‘द घोस्ट एंड द डार्कनेस’, ‘चार्ली विल्सन वॉर’ उनकी हॉलीवुड की फिल्में हैं।
200 से ज्यादा फिल्मों में किया काम
बॉलीवुड की बात करें, तो चार दशक लंबे सिने करियर में ओम पुरी ने लगभग 200 फिल्में की हैं। इनमें ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’, ‘स्पर्श’, ‘कलयुग’, ‘विजेता’, ‘गांधी’, ‘मंडी’, ‘डिस्को डांसर’, ‘गिद्धद्व होली’, ‘पार्टी’, ‘मिर्च मसाला’, ‘कर्मयोद्धा’, ‘द्रोहकाल’, ‘कृष्णा’, ‘माचिस’, ‘घातक’, ‘गुप्त’, ‘आस्था’, ‘चाची 420’, ‘चाइना गेट’, ‘पुकार’, ‘हेराफेरी’, ‘कुरूक्षेत्र’, ‘पिता’, ‘देव’, ‘युवा’, ‘हंगामा’, ‘मालामाल वीकली’, ‘सिंह इज किंग’, ‘बोलो राम’ आदि शामिल हैं।
झांसी के किले में गूंजती है आवाज
झांसी के ऐतिहासिक किले में आज भी अभिनेता ओम पुरी की आवाज गूंजती है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की कहानी किले में आने वाले पर्यटकों को सुनाई देती थी। यहां शाम को आयोजित लाइट एंड साउंड शो में ओम पुरी की आवाज किले का प्रतिनिधित्व करती है, वहीं प्रसिद्ध अभिनेत्री सुष्मिता सेन की आवाज लक्ष्मीबाई की आवाज के रूप में सुनाई देती है।
विवादों से रहा नाता
ओम पुरी का जीवन विवादों से भरा रहा है। साधारण परिवार में जन्मे ओम पुरी परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने ढाबे पर नौकरी की। यहां काम करते हुए उन पर चोरी का आरोप तक लगा दिया गया। जब महज 14 साल के थे तो उनका दिल अपनी नौकरानी पर आ गया। वो उसके प्यार में पागल हो गए थे और सेक्स तक कर बैठे थे। एक दूसरी नौकरानी से भी ओम पुरी के संबंध थे। ये बातें ओम पुरी ने अपनी पत्नी नंदिता को बताई थीं। साल 1993 में पत्रकार नंदिता से उनकी शादी हुई थी। 2009 में नंदिता ने उन पर किताब लिखी और उसमें ये सारी घटनाओं को उजागर कर दिया। नंदिता की इस बात से ओम पुरी काफी नाराज हुए थे।
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