Sandhya mukherjee passes away: स्वर कोकिला लता मंगेशकर के बाद एक और दिग्गज गायिका ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। पद्मश्री जैसे पुरस्कार को ठुकराने वाली हिंदी सिनेमा की मशहूर और दिग्गज गायिका संध्या मुखर्जी उर्फ संध्या मुखोपाध्याय का निधन हो गया है। 73वें गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत सरकार ने पद्म और पद्म श्री पुरस्कारों को घोषणा की। जिसमें कला, खेल, साहित्य और सामाजिक क्षेत्रों में अपने खास योगदान देने वाली हस्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था लेकिन उन्होंने इसे लेने से मना कर दिया था।
बता दें कि 27 जनवरी को गायिका ने सांस फूलने की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें कोलकाता ट्रैफिक पुलिस द्वारा बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से दक्षिण कोलकाता स्थित आवास से सरकारी एसएसकेएम अस्पताल ले जाया गया था। बाथरूम में फिसलने के बाद गायिका संध्या मुखर्जी की तबीयत खराब हुई थी। उनके दोनों फेफड़ों में संक्रमण पाया गया था। जिसके बाद उन्हें बुखार भी आया था।
संध्या मुखर्जी ने 90 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। उन्होंने एस डी बर्मन, अनिल विश्वास, मदन मोहन, रोशन और सलिल चौधरी सहित कई संगीत निर्देशकों के साथ काम किया था। संध्या मुखर्जी ने 60 और 70 के दशक में हजारों बंगाली गाने गाए थे। संध्या मुखर्जी को साल 2001 में पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार बंगा विभूषण से सम्मानित किया था। साल 1970 में संध्या मुखर्जी 'जय जयंती' गाने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुई थीं।
90 साल की गायिका संध्या मुखर्जी साउथ कोलकाता के लेक गार्डन इलाके में रहती थीं। 1931 में जन्मीं संध्या मुखर्जी ने साल 1948 में हिंदी फिल्म अंजान घर के लिए अपना पहला गाना गाया था। उन्होंने एस डी बर्मन, रोशन और मदन मोहन जैसे महान संगीतकारों के साथ काम किया था।
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