इस साल 09 सितंबर महीने में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने अवैध निर्माण का हवाला देते हुए कंगना रनौत के ऑफिस पर बुलडोजर चला दिया था, जिसपर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
कंगना के दफ्तर में हुए नुकसान का होगा मूल्यांक
कंगना के दफ्तर पर बुलडोजर चलाने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी को फटकार लगाई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि बीएमसी के अधिकारियों ने अभिनेत्री कंगना रनौत के बंगले के हिस्से को ढहाने में दुर्भावना से कार्रवाई की और अदालत ने विध्वंस के आदेश को रद्द कर दिया। नुकसान का आंकलन करने के लिए अधिकारी नियुक्त किया। हाईकोर्ट ने कहा- बीएमसी ने अधिकारों का दुरुपयोग किया बंगले के नकुसान का मूल्यांकन किया जाएगा और 90 दिनों के अंदर सौंपना होगा। ताकि कंगना को हुए नुकसान का मूल्यांकन कर यह फैसला लिया जाए कि उन्हें कितना मुआवजा दिया जाना है।
कंगना ने जताई खुशी
हाईकोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कंगना रनौत ने ट्वीट कर खुशी जाहिर की। कंगना ने लिखा, 'जब कोई शख्स सरकार के खिलाफ खड़ा होता है और जीतता है तो यह केवल उस इंसान की नहीं बल्कि डेमोक्रेसी की जीत होती है। जिन्होंने मुझे हिम्मत दी उन्हें धन्यवाद और उन्हें भी धन्यवाद जो मेरे टूटे सपनों पर हंसे। यह केवल इसलिए क्योंकि जब आप विलेन का रोल निभाते हैं तो मैं हीरो हो सकती हूं। '
कंगना ने की थी 2 करोड़ मुआवजे की मांग
मालूम हो कि बीएमसी द्वारा पाली हिल स्थित उनका दफ्तर तोड़ने को लेकर कंगना ने अदालत में एक याचिका दायर करते हुए 2 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी। बॉम्बे हाईकोर्ट में बीएमसी ने कहा था कि कंगना रनौत द्वारा 2 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग आधारहीन है।
सितंबर में चला था दफ्तर पर बुलडोजर
मालूम हो कि 09 सितंबर को अवैध निर्माण का हवाला देते हुए कंगना के दफ्तर को तोड़ा गया था लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने इसपर रोक लगा दी था और बीएमसी से जवाब मांगा था। कंगना ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपने ऑफिस में हुई तोड़फोड़ की वीडियोज और तस्वीरें भी शेयर की थीं। कंगना ने सोशल मीडिया के जरिए बताया था , 'मेरे घर में कोई अवैध निर्माण नहीं है, साथ ही सरकार ने कोरोना वायरस के चलते 30 सितंबर तक किसी भी इमारत को ध्वस्त करने पर रोक लगाई थी।'
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