मुंबई. पूरा देश आज गणतंत्र दिवस मना रहा है। भारत का कोई भी राष्ट्रीय त्योहार बिना लता मंगेशकर के गाने 'ऐ मेरे वतन के लोगों' के पूरा नहीं होता है। 26 जनवरी 1963 में ही पहली बार लता मंगेशकर ने ये गाना गाया है। हालांकि, पहले लता मंगेशकर ने ये गाना गाने से इंकार कर दिया था।
Spotboye को दिए एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने बताया था कि जब उन्हें गणतंत्र दिवस समारोह में ये गाना गाने का ऑफर दिया गया तो उन्होंने मना कर दिया था।
स्वर कोकिला के मुताबिक वह पिछले 24 घंटों से काम कर थीं। ऐसे में गाने को खास अटेंशन देना उनके लिए संभव नहीं था। जब गीत के लेखक कवि प्रदीप ने उनसे रिक्वेस्ट की तो लता मंगेशकर अपनी बहन आशा भोसले के साथ इसे गाने को राजी हो गई।
आशा भोसले ने कर दिया था इंकार
लता मंगेशकर के मुताबिक आशा भोसले ने दिल्ली रवाना होने से पहले गाना करने से साफ इंकार कर दिया। लता मंगेशकर ने उन्हें मनाया लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं मानी।
आशा भोसले के मुताबिक 'ए मेरे वतन के लोगों' प्रोजेक्ट को ऑर्केस्ट्रेटेड करने वाले म्यूजिक कंपोजर हेमंत कुमार ने भी आशा को मनाने की कोशिश की। इसके बाद लता मंगेशकर को अकेले ही गाने की तैयारी की।
पेट में होने लगा था दर्द
लता मंगेशकर ने बताया, 'मैं अपनी सबसे खास दोस्त नलिनी म्हात्रे के साथ थीं। हम रात में दिल्ली पहुंचे तो मेरे पेट में बहुत तेज दर्द होने लगा। मैंने नलिनी से कहा कि इस स्थिति में मैं कैसे गा पाऊंगी? वह बोली- 'चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा।'
गाना खत्म होने के बाद जब मैं बैक स्टेज गई। मुझे महबूब खान ने मुझे बुलाया और कहा कि, 'पंडित जी ने बुलाया।' जब मेहबूब खान ने पंडित जी से गाने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- 'बहुत अच्छा, मेरी आंखों में पानी आ गया।'
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