Shashi Kapoor Death Anniversary: 10वीं फेल शशि कपूर को 75 रुपए मिली थी पहली कमाई, आज ही के दिन हुआ था निधन

Shashi Kapoor Death Anniversary: टैक्सी के नाम से मशहूर अभिनेता शशि कपूर की आज (4 दिसंबर) को पुण्यतिथि है। इस मौके पर जानिए उनकी जिंदगी की कुछ अनसुनी बातें-

Shashi Kapoor
Shashi Kapoor 

Shashi Kapoor Death Anniversary: टैक्सी के नाम से मशहूर अभिनेता शशि कपूर की आज (4 दिसंबर) को पुण्यतिथि है। 2017 में आज ही के दिन बॉलीवुड का 'धर्मपुत्र' संसार को अलविदा कहकर दुनिया को 'फकीरा' कर गया था। आइये इस मौके पर जानते हैं शशि कपूर की जिंदगी की कुछ अनसुनी बातें-  

कोलकाता में 18 मार्च 1938 को हिंदी सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले पृथ्वीराज कपूर के घर जन्मे शशि कपूर का पूरा नाम बलबीर राज कपूर था। पिता और उनकी नाट्यमंडली ‘पृथ्वी थियेटर्स’ के बीच रहने की वजह से शशि का मन बचपन से ही फिल्मों में लगा रहा। कहा जा सकता है कि उन्हें एक्टिंग का गुर विरासत में मिला। उन्होंने अपने पिता नाट्यमंडली में रोल करके एक्टिंग की शुरुआत की।

शशि कपूर के बड़े भाई राज कपूर साहब उन्‍हें टैक्‍सी के नाम से बुलाते थे। शशि ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। ‘आग’ और ‘आवारा’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपनी की छाप छोड़ी। 1961 में आई फिल्म धर्मपुत्र में वह पहली बार लीड रोल में नजर आए। तब से अब तक उन्‍होंने  160 फिल्मों में काम क‍िया। जिसमें 148 हिंदी फिल्मों के साथ साथ 12 अंग्रेजी फिल्में भी शामिल हैं।

शशि कपूर ने नौ साल की उम्र में बतौर बाल कलाकार फिल्म  'आग' (1948)  से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इसके बाद फिल्म 'आवारा' में राजकपूर के बचपन के क़िरदार ने उन्हें इतना मशहूर किया कि उनका मन पढ़ाई से उचट गया। शशि कपूर फैमिली पर मधु जैन की किताब- द कपूर- द फर्स्ट फैमिली ऑफ इंडियन सिनेमा' लिखी हैं।

शशि कपूर की जोड़ी अभिनेता अमिताभ बच्चन के सात खूब जमी और दर्शकों ने इस जोड़ी को खासा पसंद भी किया। दोनों ने साथ में दीवार, कभी-कभी, त्रिशूल, काला पत्थर, ईमान धरम, सुहाग, दो और दो पांच, शान, नमक हलाल और सिलसिला जैसी  फिल्मों में काम करके इन्हें यादगार बना दिया।

60 और 70 के दशक में शशि ने बॉलीवुड को कई हिट फिल्में दी। उन्होंने कन्यादान, शर्मीली, आ गले लग जा, रोटी कपड़ा और मकान, चोर मचाए शोर, दीवार कभी-कभी और फकीरा जैसी कई हिट फिल्में दी। शशि कपूर को फिल्म ‘जब जब फूल खिले ‘ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, बांबे जर्नलिस्ट एसोसिएशन अवार्ड और फिल्म ‘मुहाफिज’ के लिए स्पेशल ज्यूरी का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। उन्हें साल 2015 के दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। इसके अलावा साल 2010 में फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से भी नवाजा गया। साल 2011 में शशि को भारत सरकार को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था।



शशि कपूर की खासियत यही थी कि वह अपने रोल में पूरी तरह रम जाते थे। यह उनका अपना हुनर था कि वह उस दौर में व्यस्ततम कलाकारों में से एक थे। वो कभी खाली नहीं होते थे। फ‍िल्‍म की तारीखें लगी रहती थीं। इस स्तर पर कि राजकपूर उन्हें मजाक में टैक्सी अभिनेता कहा करते थे क्योंकि उन्हें एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो टैक्सी से ही जाया करते थे।  साल 1958 में शशि कपूर ने इंग्लिश एक्ट्रेस जेनिफर कैंडेल से शादी की, लेकिन साल 1984 में जेनिफर की कैंसर से मौत के बाद शशि कपूर काफी अकेले रहने लगे और उनकी तबीयत भी बिगड़ती गई और उन्होंने धीरे धीरे फिल्मों से दूरी बना ली। 

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