मुंबई. एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी का रहस्य दिन पर इन और गहराता ही जा रहा है। जहां एक तरफ मुंबई पुलिस ने कई बड़े फिल्मी हस्ती और फिल्म निर्माताओं से इस मामले में पूछताछ की है।
दूसरी तरफ फिल्म अभिनेता शेकर सुमन ने सुशांत की मौत पर कई सवाल खड़े किये है। Times Now ने शेखर सुमन से इस मामले में खास बातचीत की जिसमें उन्होंने केस को लेकर काफी सवाल उठाए हैं।
आपको इस पूरे मामले में आपका क्या कहना है?
शेखर सुमन: पिछले 15 दिनों से में यह कह रहा हूं जो आखों को दिखाई दे रहा है वो शायद सच नहीं है। इसके अलावा भी कुछ सच्चाई हो सकती है जिसका पता हमें लगाना है। फैंस के दिमाग में यह सवाल उठ रहा है और हम इस मामले में CBI जांच की मांग कर रहे है। दरअसल इसको तुरंत आत्महत्या करार देना शक के घेरे में लेता है।
मुंबई पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है और कई लोगो से पूछताछ भी हुई है। इसके बाबजूद भी आप CBI जांच की मांग करते हैं?
शेखर सुमन: मै कह रहा हूं कि शुरुवात से ही यह नेरेटिव बुन दिया गया है। वही शक के घेरे मे आ जाता है, पुलिस अपना काम अच्छे से कर रही है। इसके बाबजूद अपने देखा होगा की पहले भी पुलिस ने बहुत सारे काम किया है। जब केस दोबारा से खुलता है तो उसका मामला कुछ और ही निकला है ।
बहुत बार तो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के लिए लाशों को कब्र से तक निकला गया है। यह कोई ईगो वाली बात नहीं है की मुंबई पुलिस काम कर रही है। जो सच है अगर उससे अवगत हो जाएं तो शायद लोग शांत हो। अगर CBI की जांच करा दी जाये तो इसमें हर्ज क्या है?
मुंबई पुलिस ने सुशांत के घर की तहकीकात की थी, घर के लोगों से बयान तक लिए गए। उन्होंने घर पर नाश्ता किया, कमरे मे गए और जब दरवाजा नहीं खोला गया तो चाभी वाले को भी बुलाया गया?
शेखर सुमन: यह सब तो बयान है न , बयान सच हो सकते हैं यह आप कैसे मान सकते हैं। लोगों से जब सवाल किए जाते है हर कोई सच तो नहीं बोलता है। कई लोग झूठ भी बोलते है। जो देखा रहा है वो बता रहा है की शायद कुछ और हो सकता है, कोई यकीन के साथ तो कुछ कह नहीं सकता है। उस शायद के लिए जांच करना जरूरी है।
आपको क्या लगता है सुशांत फिल्मी माफिया के गैंग का भी शिकार हुए हैं?
शेखर सुमन: ये गैंग ही तो है जो सारी चीजें निर्धारित करता है कि किसको आना है किसको जाना है, किसको रोकना है। यह सभी को पता है और यह भी वजह हो सकती है। सब कुछ अटकले हैं कि उनसे फिल्म छीन ली गई थी उसका असर तो पड़ेगा।
इंडस्ट्री अगर रिवॉर्ड नहीं देती है अवार्ड शो मे नीचा दिखाया जाता है। उसका असर कहीं न कहीं पड़ता है । सुशांत को लड़ना चाहिएं था। क्या वो एक सुसाइड नोट नहीं लिखकर जाता ? ताकि उसके इर्द गिर्द जो लोग हैं उन पर शक न किया जाए।
क्या आने वाले समय मे शेखर सुमन को चुनावी मैदान मे देखा जा सकता है
शेखर सुमन: नहीं बिलकुल नहीं। दूर-दूर तक नहीं। मे राजनीति से उतना ही दूर हो जितना मंगल ग्रह धरती से दूर। मुझे 2014 या 2019 मे जाना चाहिए था पर मैं गया नहीं।
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