हिंदी सिनेमा 110 वर्ष पुराना हो चुका है और अब तक हजारों की संख्या में फिल्में बन चुकी हैं। बिना बोलती फिल्मों से लेकर बोलती फिल्मों तक, ब्लैक एंड वाइट से रंगीन फिल्मों तक, पर्दे पर हर तरह के रंग दिखे। फिल्मकारों ने अलग अलग भावों को पर्दे पर उकेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज तकनीक और संसाधनों का युग है लेकिन एक समय था जब एक एक सीन कई कई दिनों में शूट होता था। तकनीक और संसाधनों का अभाव था, फिर भी निमार्ता फिल्म को बनाने में खून पसीना तक बहा देते थे। कुछ निमार्ताओं को तो फिल्म बनाने का ऐसा जुनून था कि वो अपनी सारी जमा पूंजी लगा देते थे। ऐसे कई उदाहरण हैं जब एक फिल्म बनाने में मेकर्स कंगाल हो गए और उन्हें संभलने में लंबा वक्त लगा।
के आसिफ का जुनून थी मुगल-ए-आजम
5 अगस्त 1960 को रिलीज हुई सदी की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में शुमार मुगल-ए-आजम ऐसी फिल्म थी जिसे बनाने में डायरेक्टर ने सारी दौलत और जिंदगी के 14 साल खर्च किए। उस वक्त मुगल-ए-आजम 1.5 करोड़ में बनकर तैयार हुई थी, जिसे आज के दौर में बनाने में तकरीबन 40 करोड़ से भी ज्यादा की लागत लगती। यह एक ऐसी फिल्म है जिसका निर्माण अंग्रेजों के शासन में शुरू हुई थी और पूरी तब हुई जब भारत आजाद हो गया था। जिस समय मुगल-ए-आजम बनी थी उस वक्त फिल्में 10 से 15 लाख में बन जाया करती थीं। के आसिफ इस फिल्म के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहते थे। यही वजह थी कि उन्होंने पूरे परफेक्शन के साथ इसे बनाया। इस फिल्म में कास्टिंग से लेकर संगीत तक के लिए आसिफ खुद सब तय करते थे। उन्होंने इस फिल्म के लिए 72 गाने लिखवाए थे। जबकि इस फिल्म का फेमस गाना 'जब प्यार किया तो डरना क्या' 105 घंटे में लिखा गया था। इस गाने को शूट करने में 10 लाख रुपये खर्च हो गए थे।
कर्ज में डूब गए थे अमिताभ बच्चन
सुपरस्टार अमिताभ बच्चन 1999 में दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गए थे। अमिताभ बच्चन का जादू पर्दे पर आज तक चल रहा है लेकिन जब उन्होंने अपनी कंपनी अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ABCL) के बैनर तले फिल्म बनाने की कोशिश की तो वह बुरी तरह से कर्जे में डूब गए। बिग बी पर 90 करोड़ का कर्जा था और नौबत यहां तक आ गई थी कि लोग अपने पैसे मांगने अमिताभ के घर तक आने लगे थे। एक बार तो घर ‘प्रतीक्षा’ की कुर्की करवाने के लिए भी कुछ लोग आ धमके थे।
'मेरा नाम जोकर' की वजह से कर्ज में डूबे राज कपूर
साल 1970 में रिलीज हुई सुपरहिट फिल्म मेरा नाम जोकर आज भी खूब पसंद की जाती है। इस फिल्म को बनने में छह साल लगे थे और राजकपूर का घर तक गिरवी रख दिया गया था। राज कपूर ने सोचा था कि फिल्म बहुत बड़ी हिट होगी लेकिन यह रिलीज होते ही औंधे मुंह गिर गई थी। इसके बाद राज कपूर पर भारी कर्ज हो गया था। इस कर्ज को उतारने के लिए राज कपूर ने 1973 में डिंपल कपाड़िया और ऋषि कपूर को बॉबी में लॉन्च किया।
बोनी कपूर की भी हालत हुई बेकार
1993 में माधुरी दीक्षित और अनिल कपूर की फिल्म “रूप की रानी और चोरों का राजा” रिलीज हुई लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई थी। इस फिल्म को बनाने में लगभग 6 साल का समय लगा था। बोनी कपूर ने 10 करोड़ के बजट से ये फिल्म बनाई लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई। इसके बाद बोनी कपूर भारी नुकसान में आ गए।
शशि कपूर खा गए झटका
शशि कपूर ने 1991 में फिल्म अजूबा बनाई। उन्होनें अपना सब कुछ इस फिल्म पर लगा दिया था। 8 करोड़ के बजट से बनी फिल्म 4.5 करोड़ ही कमा सकी। फिल्म चली नहीं और शशि कपूर इस घाटे से कभी उबर नहीं पाए। इसके बाद उन्होने कोई फिल्म नहीं बनाई।
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