मुंबई: 4 फरवरी को पूरी दुनिया में विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है और इस दौरान उन मरीजों के प्रोत्साहित करने का दिन है जो इससे लड़ाई लड़ रहे हैं और साथ ही खुद को स्वस्थ रखकर कैंसर जैसी बीमारी को खुद से दूर रखने का दिन भी आज ही है। बॉलीवुड में कैंसर पर आधारित कई फिल्में समय समय पर देखने को मिलती रही हैं।
किसी फिल्म में मरीज का संघर्ष दिखाया गया तो किसी में बीमारी और प्यार के बीच का ताना बाना बुना गया। आइए एक नजर डालते हैं कैंसर मरीजों की कहानी पर आधारित ऐसी ही कुछ फिल्मों पर।
ऐ दिल है मुश्किल फिल्में अनुष्का शर्मा, रणबीर कपूर और ऐश्वर्या राय ने मुख्य भूमिका निभाई थी। साथ ही इस फिल्म में फवाद खान ने भी अहम भूमिका निभाई है। यहां कैंसर की बीमारी अनुष्का शर्मा को हो जाती है।
पहले कहानी जुदाई को लेकर होती है जहां अनुष्का रणबीर को छोड़कर फवाद से शादी कर लेती हैं लेकिन इसके बाद बीमारी का पता चलने पर उसे भी छोड़ देती हैं। बाद में रणबीर कपूर एक्ट्रेस का हाथ थामते हैं।
अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार की फिल्म संघर्ष और बाप-बेटे की कहानी से भरी हुई है। बिग बी के किरदार का नाम ईश्वर होता है और वह अपने बेटे (अक्षय कुमार) को जिम्मेदार बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करना चाहते हैं।
इसी बीच उन्हें पता चलता है कि उन्हें कैंसर है और जल्द ही उनकी मौत होने वाली है, ऐसे में वह अक्षय को घर से निकाल देते हैं और फिर अंतिम समय तक बेटे को पिता की कही बात का अहसास होता है। फिल्म में प्रियंका चोपड़ा ने भी अहम किरदार निभाया है।
साल 2015 में आई फिल्म में माधव और पायल की कहानी दिखाई गई है और ये किरदार फिल्म में इमरान खान और कंगना रनौत ने निभाए हैं। यह पांच साल से लिव-इन रिलेशनशिप की कहानी है जिसके बाद पायल बिना कारण के अचानक माधव को छोड़कर चली जाती है।
टूटा हुआ माधव उसे खोजने और वापस लाने की कोशिश करता है और इसी दौरान पता चलता है कि पायल को कैंसर है। कहानी बीमारी के बीच रिश्ते के उतार चढ़ाव से होकर गुजरती है।
विनय पाठक ने फिल्म में अमर का किरदार निभाया है जो सभी तरह से जीवन में 'हारे हुए' हैं। एक दिन, वह फिर से अपने जीवन की जांच करने का फैसला करते हैं। फिर वह दस वास्तविक इच्छाओं को अपनी जिंदगी में पूरा करने की कोशिश करते हैं, और उस हर एक चीज का का पीछा करते हैं जो उन्हें जीने के लिए ठीक लगती है। साल 2008 में आई यह फिल्म एक कैंसर के मरीज की कहानी भी है।
यह डॉ. धर्मेश और उनके एक मरीज की कहानी है। डॉक्टर को पता चलता है कि वह जिस लड़की से प्यार करते थे और जो लंबे समय से खोई हुई थी, वह असल में उनके मरीज की पत्नी है।
वह एक नैतिक दुविधा में पड़ जाते हैं, इस दौरान कैंसर मरीज को इस बारे में पता चलता है और वह अपनी मौत के बाद दोनों को एक साथ आने के लिए कहता है। साल 1963 में आई इस फिल्म में राजकुमार ने कैंसर मरीज की भूमिका निभाई है।
इस फिल्म में मनीषा कोइराला और इरफान खान अहम भूमिका में है। चार बच्चों की मां तुलसी खुद को कैंसर होने के बारे में पता चलने के बाद उन्हें अच्छे परिवारों में गोद देने का फैसला करती है और लगातार इस कोशिश में लगी रहती है।
जब राहुल नाम के एक जुआ खेलने के लती को पता चलता है कि उसे कैंसर है, तो उसका जीवन हमेशा के लिए बदल जाता है। वह पुनर्वास केंद्र में कई लोगों से मिलता है जो उसकी जिंदगी को पूरी तरह से जीने की उसकी तलाश में उसकी मदद करते हैं। आखिरी सांस लेने से पहले वह जीवन को खुलकर जीता है।
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