कभी फिल्मों में पुरुष निभाते थे महिला का रोल, एक्ट्रेस की तलाश में सेक्स वर्कर के पास गए थे दादा साहेब फाल्के

Women's Day 2020: 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। बॉलीवुड में एक वक्त पुरुष महिलाओं का किरदार निभाया करते थे। जानिए बॉलीवुड में महिलाओं को किस तरह मिला काम...

Dada Saheb Phalke
Dada Saheb Phalke 
मुख्य बातें
  • 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है।
  • बॉलीवुड में कई वक्त तक पुरुष ही महिला का किरदार निभाते थे।
  • एक्ट्रेस की तलाश में कभी दादासाहेब फाल्के को रेड लेड एरिया में भी जाना पड़ा था।

मुंबई. 8 मार्च को भारत समेत पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। भारत में सिनेमा की शुरुआत फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' से मानी जाती है। इस फिल्म में कोई महिला नहीं थी। फिल्म में तारामती का किरदार एक पुरुष ने निभाया था। फिल्म की एक्ट्रेस की तलाश में डायरेक्टर दादा साहेब फाल्के रेड लाइट एरिया तक गए थे।

बीबीसी को दिए इंटरव्यू में दादासाहेब के नाती चंद्रशेखर ने कहा था- 'तारामती के रोल के लिए एक्ट्रेस ढूंढने के लिए दादासाहेब मुंबई के रेड लाइट एरिया में भी गए। वहां पर औरतों ने उनसे पूछा कि कितने पैसे मिलेंगे। उनका जवाब सुनकर उन्होंने कहा कि जितने आप दे रहे हो उतने तो हम एक रात में कमाते हैं।' 

बकौल चंद्रशेखर- 'दादासाहेब की तलाश एक होटल में खत्म हुई। एक दिन वो होटल में चाय पी रहे थे तो वहां काम करने वाले एक गोरे-पतले लड़के को देखकर उन्होंने सोचा कि इसे लड़की का किरदार दिया जा सकता है। उसका नाम सालुंके था। बाद में उसने तारामती का रोल निभाया।'

ये थी बॉलीवुड की पहली एक्ट्रेस 
देविका रानी को भारतीय सिनेमा की पहली एक्ट्रेस माना जाता है। उन्होंने साल 1933 में फिल्म कर्मा में काम किया था। इस फिल्म में देविका रानी ने चार मिनट लंबा किसिंग सीन दिया था। देविका रानी रवींद्रनाथ टैगौर के पड़पोती थीं। 

देविका के पिता कर्नल एमएन चौधरी मद्रास के पहले सर्जन जनरल थे। उनका परिवार काफी पढ़ा-लिखा था, इस कारण उन्हें समाज की बंदिशों का समान नहीं करना पड़ा था। उन्होंने लंदन से थिएटर की पढ़ाई की थी। साल 1929 में उन्होंने फिल्म मेकर हिमांशु रॉय से शादी की थी।

20 साल में विधवा हो गई थीं ये एक्ट्रेस
देविका रानी के अलावा फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के लिए नए आयाम खोलने का श्रेय दुर्गा खोटे को भी जाता है। दुर्गा खोटे ने फिल्म मुगल-ए-आजम में जोधाबाई का किरदार निभाया था। उनकी शादी महज 18 साल में एक अमीर खानदान में कर दी गई थी। वहीं, 20 साल में वो विधवा हो गई थीं। 

दुर्गा खोटे ने आर्थिक तंगी के कारण फिल्मों में काम करना शुरू किया था। फिल्मों में आने के लिए उन्हें परिवार और समाज से काफी खरी-खोटी सुननी पड़ी थी। पहली फिल्म के बाद दुर्गा खोटे फिल्म छोड़ने वाली थीं। हालांकि, मराठी फिल्म ‘अयोध्येचा राजा’ ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया ता।       

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