कोरोना वायरस और लॉकडाउन के इस कठिन समय में सोनू सूद लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आए। कोरोना की पहली लहर से लेकर दूसरी लहर तक और अब तक सोनू लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। हाल ही में सोनू सूद ने हमारे साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अपने महामारी के एक्सपीरियंस को लेकर बात की। सोनू सूद ने बताया कि हर दिन हमने 100 से हजार लोगों की मदद की। ऐसे धीरे-धीरे जिन लोगों को मदद मिली वो हमसे जुड़ते गए। पता ही नहीं चला वो कब हमारे साथ इस मुश्किल वक्त में वॉलिंटियर बन गए। उन लोगों ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया।
सोनू सूद ने अपनी प्रेरणा को लेकर बताया कि मेरे पिता की पंजाब में एक शॉप थी। हम फ्री में खाना बांटते थे तो लोगों के चेहरों पर एक खुशी आती थी। मेरी मां प्रोफसर थी वो बच्चों को बिना फीस के पढ़ाती थीं। आज मैं उनको याद करता हूं। खुशी हुई जब मेरे द्वारा मदद किए गए लोग ने दूसरों की बिना किसी फायदे के आगे आकर मदद की। 22 घंटे जाग-जागकर लोगों को मदद पहुंचाई। उन लोगों ने मुझे और मदद करने के लिए प्रेरित किया।
सोनू सूद ने टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में बताया, 'मुझे लगता है कि शायद मेरे मां-बाप नहीं रहे वो ठीक समय पर चले गए। अगर मुझे उस दौर से गुजरना पड़ता कि मैं उन्हें एक बेड नहीं दिला पाता या ऑक्सीजन नहीं दिला पाता तो शायद बहुत टूट जाता। मैंने हर रोज लोगों को टूटते देखा है, रोते हुए देखा है। इससे खराब दौर कभी नहीं आया है न आएगा।'
सोनू सूद का कहना है कि वो अभी भी बॉलीवुड फिल्में करेंगे। लेकिन किसी की जिंदगी बचाना ये अलग ही बात है। इसका कोई रिप्लेसमेंट नहीं है। इससे जो खुशी होती है वो अन्य किसी चीज से नहीं हो सकती।
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