जोहरा सहगल उन महिलाओं में से थीं जिन्होंने जीवन अपनी शर्तों पर जिया। जोहरा सहगल का असली नाम साहिबज़ादी ज़ोहरा बेगम मुमताज़ उल्लाह खान था। उनका जन्म एक सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ था। महज सात वर्ष की आयु में मोतियाबिंद ने उनकी बायीं आंंख की रोशनी छीन ली थी। 102 वर्ष की उम्र में 10 जुलाई 2014 को दिल के दौरे की वजह से उनका निधन हो गया था। आज गूगल ने उनके नाम का डूडल बनाया है।
जोहरा ने मां की इच्छा को पूरा करने के लिए 1929 में मेट्रिक पास किया और 1933 में लाहौर के क्वीन मैरी कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया। उस समय उन पर नृत्य का जादू चढ़ चुका था और परिवार के खिलाफ जाकर उन्होंने जर्मनी के एक मशहूर डांस स्कूल में दाखिला ले लिया। 1935 में जोहरा ने पंडित उदयशंकर की नृत्य मंडली में दाखिला लिया और दुनियाभर के तमाम देशों में प्रस्तुति दी।
अलीगढ़ में उदयशंकर सांस्कृतिक केंद्र में नृत्य करना सिखाने के दौरान इंदौर से आए छात्र कामेश्वर सहगल से उन्हें प्रेम हुआ था और आठ साल छोटे कामेश्वर से उन्होंने शादी भी की। फिर युवाओं को नृत्य की तालीम देने के लिए लाहौर में जोरेश डांस इंस्टिट्यूट की स्थापना की। विभाजन के चलते जोहरा और कामेश्वर सहगल को लाहौर छोड़ मुंबई में बसना पड़ा और ये इंस्टिट्यूट बंद हो गया। बताते हैं कि भारत को आजादी मिलने की खबर पर जोहरा सब भूलकर आजादी के जुलूस के साथ मुंबई में सारी रात नाची थीं।
1959 में उनके पति ने सफल न होने पाने के गम में आत्महत्या कर ली और वह 1962 में लंदन चली गईं जहां उन्होंने फिल्म, टीवी और रेडियो के लिए खासा काम किया। 1990 के दशक में जोहरा ने हिंदी सिनेमा के परदे पर वापसी की और दिल से, हम दिल दे चुके सनम, वीर जा, चीनी कम और सांवरिया जैसी तमाम फिल्मों में काम किया। ज़ोहरा सहगल ने 'चीनी कम' में अमिताभ बच्चन की मां का किरदार निभाया था और शाहरुख खान के साथ वीर जारा और दिल से में काम किया था। जोहरा इन दोनों सितारों को बहुत पसंद करती थीं।
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