Lata Mangeshkar Interesting And Lesser Known Facts: स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रहीं। मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में लता मंगेशकर ने 92 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांसें लीं। कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें इस अस्पताल में भर्ती किया गया था। वह लंबे समय से इस अस्पताल में भर्ती थीं, 5 फरवरी को एक बार फिर उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था। लेकिन आज लता मंगेशकर की जीवन की लड़ी टूट गई और उन्होंने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया। बहुत कम लोग यह जानते हैं कि लता मंगेशकर का फिल्मी करियर पैसों की तंगी की वजह से शुरू हुआ था। इतना ही नहीं बल्कि पहली बार लता मंगेशकर ने जिस फिल्म में गाना गाया था उस फिल्म से उनके गाने को निकाल दिया गया था। लता मंगेशकर से जुड़ी ऐसी ही कुछ रोचक और दिलचस्प अनसुनी बातें आप इस लेख में पढ़ सकते हैं।
कला क्षेत्र से जुड़ा था लता दीदी का परिवार
स्वर कोकिला लता मंगेशकर का परिवार कला क्षेत्र से नाता रखता है। उनके पिता एक थिएटर कंपनी चलाते थे, जिस वजह से लता दीदी को बचपन से ही गाने से प्यार हो गया था। लता मंगेशकर और उनकी बहन आशा भोसले ने अपने पिता की विरासत आगे बढ़ाने के लिए गायिकी में अपना करियर बनाया। एक इंटरव्यू के दौरान लता मंगेशकर ने यह कहा था कि एक बार उनके पिता अपने शागिर्द को एक राग का अभ्यास करा रहे थे। जब लता जी ने उस शिष्य का अभ्यास सुना तब अगले ही मिनट, वह उसे ठीक करवाने लगीं। जब उनके पिता लौटे तब उन्होंने अपनी ही बेटी में उनका शागिर्द ढूंढ लिया।
लता दीदी के पहले फिल्म से निकाल दिया गया था उनका गाना
लता मंगेशकर ने अपने जीवन में पहली बार मराठी फिल्म कीर्ती हसाल के एक गाने 'Naachu Yaa Gade, Khelu Saari Mani Kaus Bhaari' को अपनी आवाज दी थी। लेकिन उनका यह गाना कभी रिलीज नहीं हो पाया। दरअसल, लता मंगेशकर के पिता यह नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी फिल्मों में अपनी आवाज दे। जिस वजह से इस फिल्म से उनके गाने को हटा दिया गया था।
रिकॉर्डिंग करते समय बेहोश हो गई थीं लता दीदी
एक बार म्यूजिक कंपोजर नौशाद के साथ लता मंगेशकर एक गाने की रिकॉर्डिंग कर रही थीं। फर्स्टपोस्ट को दिए एक इंटरव्यू के दौरान, लता मंगेशकर ने यह बताया था कि एक दिन वह भीषण गर्मी के दौरान स्टूडियो में रिकॉर्डिंग कर रही थीं। उस समय स्टूडियो में एसी की कोई सुविधा नहीं थी और फाइनल रिकॉर्डिंग की वजह से पंखा भी बंद कर दिया गया था। वह इस झुलसाती हुई गर्मी को सहन नहीं कर पाईं और बेहोश हो गईं।
अपने गाने कभी नहीं सुनती थीं लता मंगेशकर
बॉलीवुड हंगामा से एक बार बात करते हुए लता मंगेशकर ने यह खुलासा किया था कि वह कभी भी अपने गाने नहीं सुनतीं थीं। ऐसा इसीलिए क्योंकि अगर वह अपने गाने सुनेंगी तो उसमें 100 गलतियां निकाल देंगी।
मदन मोहन थे लता दीदी के प्रिय म्यूजिक डायरेक्टर
लता मंगेशकर मदन मोहन को सबसे प्रिय म्यूजिक डायरेक्टर मानती थीं और उनसे बहुत खास रिश्ता रखती थीं। 2011 में तेरे सुर और मेरे गीत नाम के कलेक्टर्स आइटम कैलेंडर में उन्होंने यह कहा था कि वह मदन मोहन के बहुत करीब हैं और उनसे बहुत खास रिश्ता शेयर करती हैं जो किसी सिंगर और म्यूजिक कंपोजर के रिश्ते से भी बढ़कर है। लता मंगेशकर ने इस रिश्ते का नाम भाई और बहन का रिश्ता दिया था। उन्होंने बताया था कि जहां आरा के लिए 'वह चुप रहे' उनका फेवरेट कोलैबोरेशन था।
सांसद भी रह चुकी थीं लता मंगेशकर
1999 से 2005 तक लता मंगेशकर ने बतौर सांसद देश की सेवा की थी। 1999 में उन्हें राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया था बाद में लता मंगेशकर ने यह कहा था कि वह अपने कार्यकाल से नाखुश थीं। इसके साथ लता दीदी ने यह भी दावा किया था कि वह राज्यसभा में शामिल होने के लिए अनिच्छुक थीं।
पूरी दुनिया है लता दीदी की दीवानी
सिर्फ भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर भी लता मंगेशकर ने अपनी जादुई आवाज का जलवा बिखेरा था। दुनिया के हर कोने में लता मंगेशकर की आवाज को बहुत पसंद किया जाता है। वह भारत की ऐसी गायिका थीं जिन्होंने पहली बार रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन में परफॉर्म किया था। उनकी जादुई आवाज से प्रभावित होकर फ्रांस की सरकार ने वर्ष 2007 में उन्हें लीजन ऑफ ऑनर के अधिकारी से सम्मानित किया था। यह देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार माना जाता है।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक थीं लता मंगेशकर
सर्वाधिक रिकॉर्ड की गई गायिका के लिए वर्ष 1974 में लता मंगेशकर का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। लेकिन मोहम्मद रफी इस बात से नाराज थे और उन्होंने इसका विरोध किया था। लेकिन फिर भी इस किताब में लता जी का नाम दर्ज रहा। बाद में मोहम्मद रफी का नाम भी इस किताब में दर्ज किया गया था। वर्ष 1991 से लेकर 2011 तक लता मंगेशकर का नाम हटाकर उनकी बहन का नाम इस बुक में दर्ज कर दिया गया था।
ओपी नैयर के साथ लता जी ने कभी नहीं किया काम
लता मंगेशकर ने अपने लंबे फिल्मी करियर में भारत के महान कंपोजर और म्यूजिक डायरेक्टर ओपी नैयर के साथ कभी काम नहीं किया।
पतली आवाज की वजह से हो गई थीं रिजेक्ट
देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी कई लोग लता मंगेशकर की गायकी के कायल हैं। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में जब लता मंगेशकर बतौर प्लेबैक सिंगर अपना करियर बना रही थीं तब उन्हें पतली आवाज के कारण रिजेक्ट कर दिया गया था। कहा जाता है कि उस समय नूरजहां और शमशाद बेगम जैसी गायिकाओं का दबदबा था। इन सिंगर्स की आवाज भारी थी इसलिए उन्हें बहुत पसंद किया जाता था। इन सिंगर के सामने लता जी की आवाज बहुत पतली थी इसलिए उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था।
2019 में लता मंगेशकर ने की थी अपनी आखिरी रिकॉर्डिंग
खराब स्वास्थ्य के चलते पिछले कुछ साल से लता मंगेशकर म्यूजिक से दूर रहीं। उन्होंने अपनी आखिरी रिकॉर्डिंग वर्ष 2019 में की थी। भारतीय आर्मी को समर्पित ये गाना सौगंध मुझे इस मिट्टी की था जिसे मयूरेश पई ने कंपोज किया था। इसे 30 मार्च 2019 में रिलीज किया गया था।
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