Raj Kapoor Death Anniversary:. शोमैन राजकुमार की दो जून को 34वीं डेथ एनिवर्सरी है। आवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर, अंदाज, आग जैसी कई सदाबहार फिल्में देने वाले राज कपूर 2 जून 1988 को 63 साल की उम्र में दुनिया छोड़कर चले गए थे। राज कपूर निधन से पहले काफी वक्त से बीमार चल रहे थे। उन्हें अस्थमा की बीमारी थी। राज कपूर की बेटी रीमा जैन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता के आखिरी दिन बेहद तकलीफदेह थे।
राज कपूर की बेटी रीमा जैन ने साल 2018 में फिल्मफेयर को दिए इंटरव्यू में शो मैन के आखिरी दिनों के बारे में बताया था। रीमा जैन ने बताया था दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड दो मई 1988 को राष्ट्रपति भवन में दिया जाना था। राज कपूर इससे दो दिन पहले यानी 30 अप्रैल को ही मुंबई के लिए रवाना हो गए थे। उस दिन दिल्ली में धूल भरी आंधी चल रही थी। प्लेन का दरवाजा खुला तो धूलभरी हवाएं चल रही थी। राज कपूर पहले से ही अस्थमा के मरीज थे। इस कारण उनके फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचा था।
ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ अटेंड किया फंक्शन
रीमा जैन इंटरव्यू में कहती हैं, 'शायद पिताजी को उनकी मौत का एहसास हो गया था। वह अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर ले गए थे। पूरे फंक्शन के दौरान वह बैचेन हो रहे थे। वह अपनी असहजता बताने के लिए लगातार मेरी मम्मी का हाथ दबा रहे थे। जब उनके नाम की घोषणा की गई तो वह कुर्सी उठ नहीं पा रहे थे। ऐसे में हलचल होने लगी। तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने भाप लिया कि पापा असहज महसूस कर रहे हैं, वह नीचे आए और पिताजी को अवॉर्ड दिया।'
आखिरी हफ्ते सबसे बुरे
रीमा जैन आगे कहती हैं, 'राष्ट्रपति वेंकटरमण ने कहा इन्हें मेरी एंबुलेंस में अस्पताल ले जाएं। अस्पताल में पिताजी को वेंटिलेटर में रखा गया। न्यूज में उनकी सेहत से जुड़े अपडेट्स को दिखाया जा रहा था।'
बकौल रीमा जैन, 'आखिरी हफ्ते सबसे बुरे थे। वह केवल अपनी आंखों से बात कर रहे थे। वह बहुत ज्यादा तकलीफ में थे। निधन के बाद मेरे पिता की बॉडी को फ्लाइट में पैसेंजर सीट में रखा गया और पूरे कपूर परिवार के साथ हम वापस मुंबई लौटे।'
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