Pamela Anderson ने लिखा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत, जानें क‍िस बात की रखी र‍िक्‍वेस्‍ट

हॉलीवुड
Updated Nov 29, 2019 | 14:33 IST | Medha Chawla

Pamela Anderson letter to PM Narendra Modi : पामेला एंडरसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर देश में वेगन कल्‍चर को प्रमोट करने को कहा है। साथ ही पर्यावरण और क्‍लाइमेट चेंज को लेकर भी च‍िंता व्‍यक्‍त की।

Pamela Anderson ने लिखा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत, जानें क‍िस बात की रखी र‍िक्‍वेस्‍ट
Pamela Anderson letter to PM Modi : पामेला एंडरसन ने पर्यावरण और क्‍लाइमेट चेंज को लेकर च‍िंता व्‍यक्‍त की है  |  तस्वीर साभार: Times Now

देश में बढ़ते प्रदूषण के स्‍तर को लेकर तमाम हस्‍त‍ियों ने अपनी च‍िंता व्‍यक्‍त की है। इस मामले में विदेशी स‍ितारे भी पीछे नहीं हैं। कुछ समय पहले हॉलीवुड स्‍टार ल‍ियोनार्डो डी कैप्र‍ियो ने इस मुद्दे को अपने सोशल मीड‍िया अकाउंट पर उठाया था। अब कनाडा की एक्‍ट्रेस पामेला एंडरसन ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। पामेला इस समय पीटा की डायरेक्‍टर हैं। 

पामेला ने अपने खत में प्रधानमंत्री को लिखा है क‍ि वे सरकारी मीट‍िंग्‍स में वेगन डाइट को रखें और डेयरी प्रोडक्‍ट्स की जगह सोय से बनी चीजों के प्रयोग पर जोर दें। साथ ही इन मीट‍िंग्‍स में मीट आद‍ि भी न सर्व क‍िए जाएं। 

पामेला ने अपने खत में इस बात पर जोर द‍िया है क‍ि वैज्ञान‍िकों ने जलवायु परिवर्तन को एक इमरजेंसी घोष‍ित क‍िया है और इस मुद्दे पर गंभीरता से तुरंत काम करने की जरूरत है। उन्‍होंने अपने खत में इस तथ्‍य को उठाया है क‍ि 2050 तक करीब 36 मिल‍ियन भारतीय तटीय इलाकों में आने वाली बाढ़ से प्रभाव‍ित होंगे। द वर्ल्‍ड बैंक ने अनुमान लगाया है क‍ि अगले साल तक कम से कम 21 शहरों में ग्राउंड वाटर जीरो तक पहुंच जाएगा और 2030 तक करीब 40 पर्सेंट भारतीयों को पीने का पानी उपलब्‍ध नहीं होगा। 

साथ ही, 52 साल की अभ‍िनेत्री ने वेगन डाइट पर जोर देते हुए ल‍िखा क‍ि डेयर, मीट और अंडों के लिए पशु पालन के व्‍यवसाय से ग्रीन हाउस गैस ज्‍यादा न‍िकलती हैं जो जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा कारक होती हैं। युनाइटेड नेशंस की ओर से ये भी कहा जा चुका है क‍ि पर्यावरण संरक्षण के लिए वेगन डाइट फॉलो करना जरूरी है। 

खत के अंत में पामेला ने प्रधानमंत्री मोदी ने दरख्‍वास्‍त की है क‍ि इन मुद्दों से सुलझने के लिए वह न्‍यूजीलैंड, चीन और जर्मनी जैसे देशों का उदाहरण ले सकते हैं जहां मीट को लेकर सख्‍त कदम उठाए गए हैं। 
 

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