Web series Best Seller Review in Hindi : अमेजन प्राइम वीडियो पर वेबसीरीज बेस्टसेलर रिलीज हो चुकी है। काफी समय से ये सीरीज चर्चा में थी। इस सायकोलॉजिकल थ्रिलर सस्पेंस व ड्रामा से बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती ने ओटीटी पर डेब्यू किया है। मिथुन चक्रवर्ती इस सीरीज में असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर के रोल में हैं। मुकुल अभ्यंकर द्वारा निर्देशित बेस्टसेलर में मिथुन चक्रवर्ती के अलावा श्रुति हासन, अर्जन बाजवा, गौहर खान, सत्यजीत दुबे और सोनाली कुलकर्णी जैसे शानदार सितारों की फौज दिखाई देती है। जब तक इस वेबसीरीज का प्रीमियर नहीं हुआ था तब तक फैंस को लग रहा था कि मिथुन चक्रवर्ती की कहानी है लेकिन अब समझ में आया है कि ये कहानी मूलत: अर्जन बाजवा और श्रुति हसन की है।
कहानी में एक लेखक है जिसका नाम ताहिर वजीर है। उसके आसपास के लोगों को टारगेट कर मारा जाता है। बेस्टसेलर (Bestseller) अंग्रेजी के चर्चित उपन्यासकार रवींद्र सुब्रमणियन के नॉवेल ‘द बेस्टसेलर शी रोट’ पर आधारित है। इसे पन्नों से स्क्रीन पर ढालने का काम किया है एल्थिया कौशल और अन्विता दत्त ने। आठ कड़ियों की ये ऐसी थ्रिलर है जो धीरे धीरे स्पीड लेती है और एक समय आकर सारे सस्पेंस खोल देती है। उसके बाद आप चाहे इसे ना भी देखें तो इसके क्लाइमैक्स का अंदाजा लगा लेंगे।
मुंबई बेस्ड उपन्यासकार ताहिर वजीर (अर्जन बाजवा) परेशान है कि उसके दिमाग में अगली किताब की कहानी नहीं आ रही है। लेखकीय भाषाा में इस हालत को राइटर्स ब्लॉक कहते हैं। दस साल से उसे दूसरी कहानी का इंतजार है लेकिन वह लिख नहीं पा रहा है। एक दिन उससे अपनी एक फैन मिलती है जिसका नाम मीतू माथुर (श्रुति हासन) है। छोटे शहर से आई मीतू बताती है कि वह ताहिर से प्रभावित है और उसकी तरह ही बनना चाहती है। मीतू ताहिर को अपनी एक कहानी सुनाती है और इसी बीच कुछ ऐसा होता है कि ताहिर की दिलचस्पी मीतू की निजी जिंदगी में घटी चीजों में हो जाती है।
ताहिर का दिमाग काम करना शुरू करता है। वह मीतू की जिंदगी की कई घटनाओं में मसाला देखता है लेकिन उसमें वह उलझ जाता है। अतीत की परतें खुलती हैं। सीरीज सीरियस है, जिसमें कॉमेडी की कोई जगह नहीं। फिर भी कई जगह मेकर्स हास्यास्पद काम कर गए हैं। ताहिर को उसके अगले हिंदी उपन्यास के लिए प्रकाशक करोड़ रुपये रॉयल्टी देते हैं तो हंसी आ जाती है। कहानी को पन्नों से पर्दे तक लाने के लिए खूब बदलाव किए गए हैं। फिर भी मेकर्स कोई करिश्मा नहीं कर पाए। सीरीज देखने लायक है लेकिन और बेहतर बनाई जा सकती थी।
मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) रिटायरमेंट के कगार पर खड़े असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर के रूप में देर से आते हैं लेकिन आने के बाद छा जाते हैं। अपने चुटीले अंदाज से वह दर्शकों को मुस्कुराने पर मजबूर भी करते हैं। अर्जन बाजवा और श्रुति हासन ने अपने रोल को परफेक्शन के साथ निभाया है। गौहर खान, सत्यजीत दुबे ने भी अच्छा काम किया है। ताहिर वजीर के साथ घटनाएं क्यों होती है, मीतू माथुर का उससे मिलना संयोग है या साजिश, ये सब जानने के लिए आपको ये सीरीज देखनी होगी।
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