Bhoot Police on Disney Hotstar Review : भूलभुलैया, गोलमाल, स्त्री जैसी फिल्मों ने हॉरर कॉमेडी के जो दरवाजे खोले हैं, उसी घर के एक कमरे जैसी है सैफ अली खान, अर्जुन कपूर, यामी और जैक्लीन फर्नांडिस स्टारर भूत पुलिस। ऐसी फिल्मों की कहानी में ज्यादा ट्विस्ट की गुंजाइश नहीं होती और अधिकतर मामलों में पता होता है कि होने क्या वाला है और इसका अंत क्या होगा। रागिनी एमएमएस जैसी फिल्म देने वाले डायरेक्टर पवन कृपलानी की कहानी और निर्देशन के साथ फिल्म कुछ नया ऑफर नहीं करती है। वहीं फिल्म अंधविश्वास और भूतों के अस्तित्व पर एक बार फिर बहस का मौका भी देती है।
भूत पुलिस में सैफ अली खान यानी विभूति और अर्जुन कपूर यानी चिरौंजी भाई बने हैं (Bhoot Police cast) जिनके पिता एक पहुंचे हुए तांत्रिक थे। वो अपने पीछे विरासत में बस एक किताब छोड़ गए हैं। नेचर में एकदम अपोजिट दोनों भाई लोगों के अंधविश्वास का फायदा उठाकर खूब कमाई करते हैं, जब तक कि यामी गौतम आकर उनसे धर्मशाला के अपने टी एस्टेट से किचकंडी को भगाने कहती हैं। अर्जुन जहां उसकी बात को गंभीरता से लेता है, वहीं सैफ को पहले की तरह मजाक सूझता है। और इसी बीच उनका सामना होता है असली किचकंडी से। कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए नकली और असली किचकंडी का कॉन्सेप्ट डाला गया है। और जब दर्शक ये भरोसा कर लेते हैं कि भूत नहीं होते, तभी असली किचकंडी के आने से पर्दे पर खौफ का माहौल हो जाता है।
पर्दे पर खौफ का माहौल इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भूत पुलिस में आपके डरने की गुंजाइश कम है। अगर ये आपकी पहली हॉरर कॉमेडी तो कुछ सिहरन जरूर हो सकती है वरना हॉरर में एंटरटेरमेंट ढूंढने वाले भूत पुलिस को ही 'क्रिमिनल' बना देंगे।
भूत पुलिस में सबसे ज्यादा स्क्रीन स्पेस मिला है सैफ अली खान को। वह अपने रोल में इंप्रेस करते हैं लेकिन दिल चाहता है, कॉकटेल, लव आजकल, गो गोवा गोन वाला ही उनका अंदाज भूत पुलिस में दिखता है। डायलॉग, एक्सप्रेशन और यहां तक कि गेटअप में भी सैफ खुद को दोहराते ही लगते हैं। हां, ये बात और है कि अर्जुन कपूर की तुलना में उनके चेहरे पर एक्सप्रेशंस कई गुना आते हैं। संदीप और पिंकी फरार में अर्जुन को देखना एक सरप्राइज था लेकिन भूत पुलिस उनके लिए एक कदम आगे बढ़ाने वाली फिल्म साबित नहीं हुई है। अर्जुन को अब रॉ लुक से आगे बढ़कर खुद की स्क्रीन ग्रूमिंग पर ध्यान देना चाहिए जिसमें बस मुंह फुलाना नहीं बल्कि कई भावों को एक साथ चेहरे पर लाना है।
दोनों एक्ट्रेस में जैक्लीन की तुलना में यामी ज्यादा प्रभावित करती हैं - लुक्स में भी और अभिनय में भी। यामी को चारों कलाकारों में सबसे कम स्क्रीन स्पेस मिला है, बावजूद इसके वह ज्यादा कॉन्फिडेंट और स्टाइलिश दिखती हैं। इसके अलावा तीन कलाकारों का जिक्र और होना चाहिए - इंस्पेक्टर छेदी लाल के रोल में जावेद जाफरी सामान्य हैं, वह इससे अच्छी परफॉर्मेंस पहले दे चुके हैं। लता के रोल में जैमी लीवर प्रभावित करती हैं। उनको कुछ लेंथ वाले किरदारों की डिमांड रखनी चाहिए। एस्टेट के मैनेजर का रोल निभाने वाले अमित मिस्त्री अब हमारे बीच नहीं हैं। अफसोस कि एक अच्छा करैक्टर आर्टिस्ट हमने जल्दी खो दिया।
फिल्म की अच्छी बातों में एक फैक्टर ये भी है कि इसमें फिजूल के गाने नहीं भरे गए। भूत पुलिस गाना अंत में आता है जिसको आसानी से स्किप किया जा सकता है। वहीं बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। फिल्म को थोड़ा और टाइट किया जाता तो बेहतर होता। धर्मशाला जैसी खूबसूरत लोकेशन भी उस तरह स्क्रीन पर नहीं उतरी कि नजर कुछ देर के लिए नजारों पर ही ठहर जाए।
कुल मिलाकर भूत पुलिस औसत फिल्म है जिसे आप हल्के फुल्के एंटरटेनमेंट के लिए वीकएंड पर देख सकते हैं। हां, सैफ और यामी के फैन्स के लिए ये फिल्म मिस करने लायक नहीं है।
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