Gunjan Saxena: The Kargil Girl Review: जाह्नवी कपूर का चला जादू, 'गुंजन सक्सेना' में अदाकारी से जीता दिल

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Gunjan Saxena: The Kargil Girl Review: दो साल बाद 'धड़क' अदाकारा जाह्नवी कपूर पर्दे पर लौटी हैं और उनकी वापसी की धमक जबरदस्‍त है। दूसरी फ‍िल्‍म गुंजन सक्‍सेना में उन्‍होंने जबरदस्‍त परफॉर्मेंस दी है।

Gunjan Saxana Review
Gunjan Saxana Review 
मुख्य बातें
  • जान्हवी कपूर ने निभाया है 'द कारगिल गर्ल' में प्रमुख किरदार, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होगी रिलीज
  • युद्ध के मैदान में गोलाबारी के बीच हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली पहली महिला पायलट बनी थीं गुंजन सक्सेना
  • भारतीय वायुसेना में साहस के साथ देश सेवा करते हुए रचा था इतिहास

Gunjan Saxena: The Kargil Girl Review: दो साल बाद 'धड़क' अदाकारा जाह्नवी कपूर पर्दे पर लौटी हैं और उनकी वापसी की धमक जबरदस्‍त है। दूसरी फ‍िल्‍म गुंजन सक्‍सेना में उन्‍होंने जबरदस्‍त परफॉर्मेंस दी है। आज यानि 12 अगस्‍त को यह फ‍िल्‍म र‍िलीज होनी है। फिल्‍म को लेकर जाह्नवी काफी उत्‍साहित थीं। फ‍िल्‍म को समीक्षकों ने काफी सराहा और अब जब ये दर्शकों के हवाले पहुंच रही है तो देखना होगा कि इसे कितना पसंद किया जाता है। आप अगर इस फ‍िल्‍म को देखने का मन बना रहे हैं तो एक बार यह रिव्‍यू जरूर पढ़ें। 

गुंजन सक्‍सेना की कहानी 

1994 में गुंजन उन 25 युवा महिलाओं में से एक बन गईं, जो भारतीय वायु सेना ट्रेनी पायलट के पहले महिला बैच का हिस्सा थीं। हालांकि तब महिला पायलटों को हमलावर हेलीकॉप्टर या फाइटर जेट उड़ाने की इजाजत नहीं थी और महिला पायलटों को 2016 में ही फाइटर स्क्वाड्रन में शामिल किया गया है। लेकिन गुंजन सक्सेना ने साल 1999 में एक मिसाल कायम की।

IAF ने ऑपरेशन सफेद सागर के जरिए भारत को कारगिल युद्ध में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्‍हें हेलीकॉप्टर उड़ाकर घायल मरीजों को हॉस्पिटल ले जाने और वॉर ज़ोन में सप्लाई का काम मिला था। पाकिस्तानी सैनिक लगातार रॉकेट लॉन्चर और गोलियों से हमला कर रहे थे लेकिन गुंजन घायल सैन‍िकों को द्रास और बटालिक की ऊंची पहाड़ियों से उठाकर वापस सुरक्षित स्थान पर लेकर आईं।

एक्टिंग और डायरेक्‍शन 

शरण शर्मा निर्देशित यह नई फिल्म भारतीय वायु सेना के पायलट गुंजन सक्सेना के जीवन पर एक बायोपिक है, जो श्रीविद्या राजन के साथ युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय महिला फाइटर पायलट बनीं। गुंजन ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सैनिकों को बचाया था और युद्ध के दौरान साहस व धैर्य दिखाने के लिए उन्हें शौर्य वीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फ‍िल्‍म में उनका किरदार जान्‍हवी कपूर ने निभाया है, वहीं उनके पिता के रोल में नजर आए हैं पंकज त्रिपाठी। शरण शर्मा ने गुंजन की कहानी को बखूब फ‍िल्‍माया है और वह एक बेहतरीन बायोपिक बनाने में कामयाब हो गए हैं। वहीं जान्‍हवी और पंकज त्रिपाठी सहित सभी कलाकारों ने लाजवाब अभिनय किया है। 

खास है ये फ‍िल्‍म

श्रीदेवी अगर आज ज़िंदा होती तो अपनी बेटी पर फक्र करतीं। इस फ‍िल्‍म में जान्‍हवी निडर और आत्‍मविश्‍वास से भरी नजर आई हैं। जान्‍हवी के डायलॉग कम हैं लेकिन उन्‍होंने कम बोलकर भी अपनी उपस्थिति बनाए रखी है। वहीं डायरेक्‍टर शरण ने इस फ‍िल्‍म के बहाने बेटी के संघर्ष और पिता के साथ उसके रिश्‍ते को भावनात्‍मक तरीके से परोसा है जिसकी प्रशंसा होनी है। फ‍िल्‍म उन महिलाओं को हौसला देती है जो सोचती हैं पुरुषवादी समाज में उन्‍हें उपेक्षाओं का शिकार होना पड़ता है। 

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