Jhund Review in Hindi: साल 2016 में आई मराठी फिल्म सैराट ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। पांच साल बाद फिल्म के डायरेक्टर नागराज मंजुले एक बार फिर ऐसी ही एक दमदार कहानी लेकर आए हैं। फिल्म में जहां सैराट की स्टारकास्ट नजर आ रही है। वहीं, इस बार उन्हें साथ मिला है सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का। झुंड चार मार्च 2022 को रिलीज होने वाली है। फिल्म देखने से पहले पढ़ें ये रिव्यू।
रियल लाइफ किरदार विजय बर्से पर आधारित है, जिन्होंने झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों की भलाई के लिए एक फुटबॉल एसोसिएशन की स्थापनाकी है। डायरेक्टर नागराज मंजुले अपनी कहानी में भेदसपन और इमोशनल किरदारों के लिए जाने जाते हैं। अपने बॉलीवुड डेब्यू में भी उन्होंने पहले फ्रेम से इसे स्थापित किया है। फिल्म की शुरुआत नागपुर की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के रोजाना के संघर्ष से शुरू होती है, जो कई आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं। इन बच्चों में से कई ड्रग एडिक्ट हैं, जिनका जिंदगी में कोई लक्ष्य नहीं है। ऐसे में एक दिन इन बच्चों की जिंदगी में स्पोर्ट्स कोच विजय बोर्डे (अमिताभ बच्चन) की एंट्री होती है। विजय बोर्डे अपनी लग्न, विश्वास के जरिए इन झुग्गी झोपड़ी वाले बच्चों की जिंदगी बदल देते हैं। वह न उन्हें एक अच्छा इंसान बनाते है बल्कि उन्हें एक अच्छा फुटबॉल प्लेयर भी बनाते हैं।
एक्टिंग
झुग्गी झोपड़ी की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने का सफर आपको इमोशनल करने के साथ-साथ खुशी से झूमने पर भी मजबूर कर देगा। कई सीन खास इंटरवल से पहले का सीन आपको शाहरुख खान की फिल्म चक दे इंडिया की याद दिला देगा। नागराज मंजुला ने फिल्म को अपना एक ट्रेडमार्क टच दिया हुआ है, जो इससे पहले उनकी मराठी फिल्मों में देखा जा चुका है। वहीं, एक्टिंग की बात करें तो अमिताभ बच्चन ने अपने जटिल लेकिन, दमदार किरदार विजय बोर्डे को बखूबी निभाया है। शुरुआत में झुग्गी-झोपड़ी बच्चों के साथ उनकी केमेस्ट्री हो या फिल्म के क्लाइमैक्स में लंबा मोनोलॉग हर पल अमिताभ बच्चन आपको बांधे रखते हैं। वहीं, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों में से अंकुश गेंदम ने सबसे ज्यादा अपनी परफॉर्मेंस से इंप्रेस किया है।
क्या देखें फिल्म
फिल्म का म्यूजिक अजयृअतुल ने दिया है और साकेत कानेतकर का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की सबसे बड़ी हाइलाइट है। हालांकि, फिल्म की कमी की बात करें तो फिल्म की अवधि लगभग तीन घंटे है, जो जरूरत से ज्यादा लंबी है।
फिल्म को थोड़ी एडिटिंग की जरूरत थी। इसके बावजूद नागराज मंजुले ने अपनी शानदार कहानी से इस कमी को भी छिपा दिया है। झुंड उन फिल्मों में से हैं, जो अपने कंटेंट, विजुअल ट्रीट और स्टार कास्ट की बेहतरीन परफॉर्मेंस के जरिए दर्शकों को सिनेमाघर तक लाएगी।
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