Rashmi Rocket Movie Review: महिला सशक्तीकरण बदलते दौर में बॉलीवुड के निर्माताओं का नया ब्रह्मास्त्र बनता दिख रहा है। फिल्म निर्माता एक के बाद एक ऐसी फिल्में ला रहे हैं जो महिलाओं का गुणगान करने वाली हैं। फिर चाहे कंगना रनौत की फिल्म थलाइवी की बात करें या फिर तापसी पन्नू की फिल्म रश्मि रॉकेट। एक तरफ जहां कंगना रनौत ने अपनी फिल्म थलाइवी से सुर्खियां बटोरी हैं वहीं दूसरी ओर तापसी पन्नू भी अपनी फिल्म रश्मि रॉकेट को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में हैं।
फिल्म लंबे इंतजार के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म Zee5 पर कुछ ही घंटे पहले रिलीज हुई है। आकर्ष खुराना द्वारा निर्देशित इस फिल्म में तापसी ने मशहूर एथलीट रश्मि रॉकेट की भूमिका निभाया है। फिल्म की कहानी एक महिला एथलीट के संघर्षों पर आधारित है, जो परिवार और समाज की बेड़ियां पार कर आगे बढ़ती है। लेकिन जेंडर वेरिफिकेशन जैसी चीजें उसके करियर में बाधा उत्पन्न करती है। फिल्म की कहानी इसी के ईर्द गिर्द घूमती हैं। ऐसे में अब तक आपने फिल्म नहीं देखी है तो उससे पहले ये रिव्यू पढ़कर जान लीजिए कि ये फिल्म आपको देखनी चाहिए या नहीं।
रश्मि रॉकेट फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक ऐसी लड़की की है जो गुजरात के कच्छ में पली बढ़ी है। उसके पड़ोसी उसे छोरी कम और छोरा ज्यादा समझते हैं। उसकी सांवली त्वचा और बचकानी हरकतें उसे अन्य लड़कियों से अलग बनाती हैं। वहीं इन सबसे हटकर एक चीज है जो उसे सबसे खास बनाती है, वह है रॉकेट की तरह उड़ने और चीते की तरह भागने की क्षमता। रश्मि को उसके माता पिता यानि सुप्रिया पाठक और मनोज जोशी ने बहुत नाज से पाला पोषा है। दौड़ लगाना उसका पैशन है, जिसे वह अपने करियर के रूप में देखती है। रश्मि एक आजाद खयालों की लड़की होती है, जिसे स्नीकर यानि शॉर्ट्स पहनकर गरबा खेलना और लड़कों से फ्लर्ट व लड़ाई झगड़ा करना बेहद पसंद होता है।
हालांकि उसके दिल के करीब एक ही लड़का होता है, जिससे वह बेहद प्यार करती है। वो है गगन, गगन आर्मी में होता और उसे रश्मि का स्वभाव बेहद पसंद होता है। गगन ही वो शख्स है, जो रश्मि को रश्मि रॉकेट बनाता है। यह तब होता है जब रश्मि उसके एक दोस्त की जान बचाने के लिए कड़ा साहस दिखाती है और वह इसमें कामयाब रहती है।
रश्मि रॉकेट के किरदार में तापसी पन्नू परिवार व समाज की बेड़ियों को पार कर एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए आगे बढ़ती हैं। लेकिन जेंडर वेरिफिकेशन उसकी भावना और मनोबल को तोड़ देता है। एक महिला के रूप में उसकी पहचान पर सवाल खड़ा करता है। जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। अपनी प्रतिष्ठा और पहचान वापस पाने के लिए रश्मि पति गगन और वकील इशित यानि अभिषेक बनर्जी के साथ न्याय पाने का प्रयास करती है।
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स्क्रीन से नहीं हटेगी नजर
नंदा पेरियासामी की दिलचस्प कहानी, अनुरुद्ध गुहा की तीखी पटकथा और आकर्ष खुराना का सक्षम निर्देशन शुरु से लेकर आखरी तक आपका ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहेगा। जहां न्याय के लिए दौड़ एक अदालत में खेली जाती है। फिल्म ऐसी लाखों महिलाओं की आवाज उठाती है जिन्हें जेंडर वेरिफिकेशन का सामना करना पड़ा है।
तापसी ने एक बार फिर जीता दिल
तापसी पन्नू एक बार फिर रश्मि रॉकेट के किरदार में दर्शकों के दिलों में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हुई हैं। अभिनेत्री ने फिल्म के जरिए एक बार फिर अपनी काबिलियत साबित की है। वहीं फिल्म का डायरेक्शन काफी जबरदस्त है। आकर्ष खुराना और उनकी टीम इसके लिए बधाई के पात्र हैं। फिल्म में लव एंगल और कहानी को काफी अच्छे से पेश किया गया है।
फिल्म के सभी किरदारों ने अपना रोल बखूबी निभाया है
फिल्म में ऐसे कई चरित्र हैं जिन्होंने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। फिल्म में प्रियांसु पेन्युली ने तापसी के बॉयफ्रैंड और पति का किरदार निभाया है। प्रियांशु के किरदार को दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया जा रहा है, जो गंभीर परिस्थितियों में भी अपनी प्रेमिका के साथ खड़ा रहता है। ताकि वह अपनी रश्मि को फिनिश लाइन तक पहुंचा सके। वहीं वकील के किरदार मे अभिषेक बनर्जी की भी एक्टिंग को खूब सराहा जा रहा है। इसके साथ ही जज के रोल में सुप्रिया पाठक और मनोज जोशी की अपीयरेंस भी अच्छी है।
कुछ कमियां भी
फिल्म में गाने कम किए जा सकते थे। एक जोरदार थीम सॉन्ग रश्मि रॉकेट की क्वॉलिटी बढ़ा सकता था। वहीं कोर्ट रूम में मेलोड्रामा कम कर सकते थे और बैकग्राउंड स्कोर पर और काम करने की जरूरत थी।
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