IEC 2022: टाइम्स नेटवर्क के अहम कार्यक्रम 'इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2022' का मुंबई में आगाज हो चुका है। इस बार के कार्यक्रम की थीम 'द ग्रेट इंडियन डेमोक्रेटिक डिविडेंड' है और इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के दिग्गज आर्थिक एजेंडे पर चर्चा कर रहे हैं। इसी कड़ी में पहले दिन के कार्यक्रम में बालाजी टेलीफिल्मस की एमडी एकता कपूर शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने फिल्म कंटेंट, जेंडर इंटेलिजेंस सहित कई मुद्दों पर अहम चर्चा की।
एक महिला होने के नाते अगर कोई कंटेंट क्रिएटर, फिल्ममेकर आदि है तो क्या उसे पुरुषों की तुलना में किसी अलग तरह की स्किल की जरूरत या कोई एडवांटेज एंड डिसएडवांटेज है? इस सवाल पर एकता कपूर ने बताया कि ये सब्जेक्टिव है। अगर आप टेलीविजन जगत की बात करें तो यह स्किल है । जहां फीमेल नैरेटिव्स होते हैं तो ये चीजें एक महिलाओं स्वाभाविक रूप से अच्छी तरह से समझ आ जाती हैं। लेकिन वहीं पुरुषों को महिलाओं के दिमाग को समझना पड़ता है। लेकिन फिल्म की बात करें तो यहां मेल नैरेटिव्स ज्यादा होते हैं तो फिर महिला फिल्ममेकर-कंटेट क्रिएटर को यह समझना पड़ता है। दुर्भाग्य से यह बड़ी सीमाएं हैं और हम इसे लगातार तोड़ रहे हैं। क्योंकि टेलीविजन भी पुरुषों के लिए है और फिल्में भी महिलाओं के लिए हैं। इसलिए यह कोई अलग स्किल नहीं है ये एक मल्टीटास्किंग आर्ट है।
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हर जिंदगी को सेलिब्रेट करना है: एकता कपूर
एकता कपूर ने आगे बताया कि मैं लाइफ को पुरुष और महिला के नजरिए से नहीं देखती हूं। महिला होने के नाते मुझे सिर्फ ये करना है या पुरुष होने के नाते मेरे सिर्फ ये सब्जेक्ट रहेंगे.. ऐसा नहीं है , हमें एक इंसान के तौर पर जीना है। हर जिंदगी को सेलिब्रेट करना है। आपको स्क्रिन पर अपने मेल और फीमेल दोनों कैरेक्टर्स को सेलिब्रेट करना चाहिए। क्योंकि मैं सिर्फ एक महिला होने के नाते सिर्फ महिला पर फिल्म बनाऊं... ये जरूरी नहीं है।
'मैंने बहुत यंग उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। एक महिला होने के नाते काफी कुछ देखा है। महिला बॉस ऑफिसों में होना बहुत जरूरी हैं। क्योंकि आप जब किन्हीं चीजों से गुजरते हो, फिर आप दूसरों की वो परेशानियां समझ पाते हो। बच्चे होने के बाद मुझे महिलाओं और मां को लेकर कई अन्य चीजें अच्छे से समझ आईं कि आखिर वो फीलिंग क्या होती है। जब आपके बच्चे की तबीयत खराब होती है और आप एक कॉल पर ऑफिस छोड़कर भागते हैं...। इसी तरह पुरुषों का अपना अनुभव होता है और चीजें ऐसे ही धीरे-धीरे समझ आती हैं।'
जेंडर इंटेलिजेंस को लेकर एकता कपूर का कहना है कि टीवी ने एक वॉइस क्रिएट किया है। किचन पॉलिटिक्स किसी की वास्तविकता है इसलिए इसपर कहानियां बनीं। कई महिलाओं को टेलीविजन के द्वारा आवाज मिली है। मेरा मानना है कि जेंडर इंटीलिजेंस मेकर्स में ज्यादा होनी चाहिए। डर्टी पिक्चर भी ऐसी ही कहानी थी। जिसे हमने एंटरटेनिंग बनाकर सही बात सेक्सुएलिटी के साथ मास को बताने की कोशिश की 'सेक्स देखते आप सब हैं और डर्टी मैं...'। कहीं ना कहीं हमने थोड़ा सा माइंड सेट चेंज करने की कोशिश की और जनता तक पहुंचने की कोशिश की।
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