एक्ट्रेस सुचिता त्रिवेदी दो साल बाद छोटे पर्दे पर वापसी करने जा रही हैं। वह जल्द ही 'इंडिया वाली मां' शो में नजर आने वाली हैं। सुचिता आखिरी बार 'इश्क में मरजावां' में दिखाईं थीं, जिसमें उन्होंने कैमियो किया था। वह अब 'इंडिया वाली मां' में लीड रोल निभा रही हैं। शो में वह ऐसी मां का किरदार निभा रही हैं, जो निस्वार्थ भाव से अपने बच्चे के लिए सोचती है। सुचिता को शोज में 'मां' का किरदार निभाने से कभी परहेज नहीं रहा। वह कम उम्र में भी शो में मां की भूमिका चुकी हैं। सुचिता ने बताया है कि उन्होंने एक बार फिर मां का रोल क्यों चुना?
'मैं हमेशा कैरेक्टर-स्क्रिप्ट देखती हूं'
ईटाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सुचिता त्रिवेदी ने कहा कि मैं हमेशा कैरेक्टर और स्क्रिप्ट के बारे में सोचती हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं इस बात पर ध्यान देना चाहूंगी कि मैं स्क्रीन पर एक मां की भूमिका निभा रही हूं। आखिर में टैलेंट ही मायने रखता है। मेरे पास 'मेरे अंगने में' में एक दिलचस्प मां की भूमिका थी और अब 'इंडिया वाली मां' शो में एक मां का किरदार निभा रही हूं। यह ऐसा किरदार जिससे मैं जुड़ाव महसूस करती हूं। वहीं, जब मैं मेरी उम्र कम थी तब भी मैं कभी मां की भूमिका निभाने से कतराती नहीं थी। मैं अपने काम को लेकर उत्साही हूं और अगर किरदार अच्छा है तो मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि मां को रोल स्क्रीन पर नहीं निभाना चाहिए।
शो में कुछ ऐसा होगा किरदार
सुचिता ने आगे कहा कि भारतीय बच्चे आजकल विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं और स्वतंत्र रूप से अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करते हैं। उन्हें अपने माता-पिता की जरूरत है, लेकिन वे साथ ही स्वतंत्र रूप से अपना जीवन जीना चाहते हैं। मैंने शो में एक निस्वार्थ मां की भूमिका निभा रही हूं, जो नहीं चाहती कि उसका बेटा विदेश में पढ़ाई करने के लिए जाने के बाद वापस आए। उसे लगता है कि बच्चों की जिंदगी में योगदान करने का मतलब यह नहीं है कि बच्चे सिर्फ इसीलिए लौट कर आएं और माता-पिता की देखभाल करें। यह बच्चों का फैसला होना चाहिए कि वे अपने माता-पिता के साथ रहना चाहते हैं या नहीं।
'माएं हर जगह एक जैसी ही होती हैं'
उन्होंने कहा कि मैं इस कैरेक्टर से इसीलिए कनेक्ट कर पाती हूं क्योंकि मैं निस्वार्थ पालन-पोषण में विश्वास करती हूं। माता-पिता को निस्वार्थ भाव से अपने बच्चों का सहयोग करने की आवश्यकता है। माता-पिता जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और चाहे आप कितने भी उम्रदराज क्यों न हों, आप उन्हें कभी नहीं भूल सकते। सुचिता ने भारतीय माओं के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मुझे लगता है कि माएं हर जगह एक जैसी ही होती हैं। माएं अपने बच्चों का उम्रभर ख्याल रखती हैं, तब भी जब वे बूढ़े हो जाते हैं।
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