नई दिल्ली। देश में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जहां एक तरफ रिकवरी रेट बेहतर हो रहा है, वहीं इसकी वजह से मृच्यु दर में कमी आई है। लेकिन खतरा नहीं टला है। पीएम नरेंद्र मोदी बार बार कहते हैं कि जब तक कोरोना का वैक्सीन नहीं आ जाता है दो गज जरूरी, मॉस्क का इस्तेमाल लोगों को जरूर करना चाहिए। हाल ही में राष्ट्र के नाम संदेश में पीएम ने पश्चिमी देशों का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से एक बार वहां तेजी से मामले बढ़ रहे हैं उस सूरत में चिंता का बढ़ना लाजिमी है। उस सुर में सुर मिलाते हुए एम्स के डॉयरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी चिंता जताई है।
वायु प्रदूषण और कोरोना के बीच सीधा संबंध
डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि सर्दियों के दौरान स्वाइन फ्लू में इजाफा होता है। संभावना है कि कोरोना वायरस भी ऐसा ही करे। ऐसा डेटा इस समय उपलब्ध है जिससे पता चलता है कि वायु प्रदूषण की वजह से COVID19 का उच्च प्रसार भी हो सकता है। यह इटली और चीन में पिछले कुछ महीनों में किए गए एक अध्ययन पर आधारित है।
प्लाज्मा थिरेपी मैजिक बुलेट नहीं
प्लाज्मा थिरेपी के बारे में रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इसके जरिए शत प्रतिशत इलाज का दावा नहीं किया जा सकता है। बेहतर यह होगा कि अगर किसी में हल्के लक्षण भी सामने आते हैं तो उसे लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। बता दें कि आईसीएमआर से इस संबंध में ऐलान किया है कि बहुत जल्द ही कोरोना के इलाज के लिए जो प्रोटोकॉल बनाए गए हैं उसमें से प्लाज्मा थिरेपी को हटा लिया जाएगा। इस विषय पर पर एम्स के निदेशक ने कहा कि अभी तक इस पर विस्तार से अध्ययन नहीं हुआ है लिहाजा उनके लिए कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।