फलियां प्रोटीन से भरी होती हैं और इनमें फाइबर भी खूब होता है। काबुली चना यानी चिकपीज में एक नहीं कई तरह के पोषण तत्व होते हैं और यही कारण है कि ये सेहत के लिए बहुत लाभदायक है।
इसे आप छोले की तरह खाएं या उबाल कर सलाद की तरह। हर तरह से ये स्वादिष्ट भी होता है और सेहत से भरा। काबुली चना काले चने से ज्यादा सेहतमंद होता है और इससे भी बड़ी बात ये है कि इसे खाने से गैस या एसिडीटी जैसी समस्याएं भी नहीं होतीं। काबुली चने में ऐसी कई चीजें हैं जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होती हैं। आए आज इसके सेहत से भरे फायदे जानें।
अवांछित वसा को दूर रखें
काबुली चना आपके शरीर से अवांछित वसा को दूर करने वाला होता है। काबुली चने को खाने से वेट लॉस भी तेजी से होता है। सेंट माइकल हॉस्पिटल के क्लीनिकल न्यूट्रीशन एंड रिस्क फैक्टर मॉडिफिकेशन सेंटर ने अपने अध्ययन में बताया गया है कि काबुली चना में अन्य किसी भी दाल से ज्यादा प्रोटीन होता है और ये लंबे समय तक पेट को भरा रखने में भी कारगर है। इसमें रफेज भी अधिक होता है।
महिलाओं के लिए लाभ
छोले में फाइटोएस्ट्रोजेन होता है और ये महिलाओं में कई तरह के हार्मोन असंतुल को सही करने का काम करता है। साथ ही ये ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी को भी रोकने में कारगर है। यही नहीं ये रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में होने वाले हॉट फ्लैशेज़ को भी कम करता है।
प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत
काबुली चना प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है,विशेषकर शाकाहारी के लिए। कम कैलोरी के साथ ये शरीर को अधिक प्रोटीन देता है और जब ये अनाज के साथ खाया जाता है तो इसके पोषक तत्व और बढ़ जाते हैं।
मधुमेह को रोकता है
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन कि रिपोर्ट बताती है कि जो लोग फलियां खाते हैं,उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना कम होती है। फलियों में कार्बोहाइड्रेट धीरे-धीरे पचता है,जिससे रक्त शर्करा स्पाइक्स कम हो जाते हैं, जो इंसुलिन प्रतिरोधक कि तरह काम करते हैं।
रक्त शर्करा और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) को स्थिर करता है
काबुली चना एक घुलनशील फाइबर है जो रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करता है। यह इंसुलिन प्रतिरोध, हाइपोग्लाइकेमिया या मधुमेह वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है। फलियां रक्त शर्करा को रोकने के में बहुत कारगर हैं।
आंतों के लिए बेहद फायदेमंद है
अपनी आंतों को टिप-टॉप स्थिति में रखने के लिए छोले खूब खाने चाहिए। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार फलियों में फाइबर आपकी आंत पर खिंचाव को कम करता है और दर्दनाक डायवर्टीकुलिटिस रोग और कब्ज के जोखिम को कम करता है।
आयरन बूस्ट और एनीमिया की रोकथाम
काबुली चने में हाई आयरन होता है जो गर्भवती या ब्रेस्फीडिंग कराने वाली महिलाओं के साथ ही बढ़ते बच्चों के लिए बेहद जरूरी हैं। आयरन हीमोग्लोबिन का एक महत्वपूर्ण घटक है और ऊर्जा उत्पादन और चयापचय के लिए एंजाइम प्रणालियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चूँकि यह शरीर की लोहे की आवश्यकता को पूरा करने में मदद करता है और एनीमिया को रोकता है। साथ ही ये ऊर्जा और प्रतिरक्षा को बढ़ाता भी बढ़ाता है।
काबुली चने में थायमिन, मैग्नीशियम और फास्फोरस, मैंगनीज आदि खूब होता है, जो शरीर की रोज की जरूरत को पूरा करने में सक्षम है। इसलिए इसे अपनी डाइट का हिस्सा बना लें।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।
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