नई दिल्ली। 11 अगस्त को जब रूस ने ऐलान किया कि उसने कोरोना वायरस के खिलाफ स्पुतनिक v वैक्सीन लांच की है तो दुनिया की मिलीजुली प्रतिक्रिया थी। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी के साथ साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शक जाहिर किया कि वैक्सीन पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है। लेकिन रूस ने कहा कि किसी को शक करने की जरूरत नहीं है। अब यह जानकारी सामने आ रही है कि एक विदेशी नियामक की मौजूदगी में इस वैक्सीन को अगले हफ्ते करीब चालीस हजार लोगों को दिया जाएगा। TASS समाचार एजेंसी ने गुरुवार को वैक्सीन के डेवलपर का हवाला दिया।
रूस के पहले उपग्रह के नाम पर वैक्सीन का नाम स्पुतनिक
सोवियत संघ द्वारा लॉन्च किए गए दुनिया के पहले उपग्रह के नाम पर कोरोना वैक्सीन का नाम "स्पुतनिक वी" दिया गया। इस टीके को अभी कुल खास 38 लोगों को दिया गया है और इसके पूर्ण नतीजे आने अभी बाकी हैं। वैक्सीन लेने वाले कुछ लोगों ने थोड़ी बहुत दिक्कत की शिकायत की थी हालांकि आरडीआईएफ ने किसी भी तरह के दुष्प्रभाव से इंकार किया है। यह बात अलग है कि अभी डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया है।
वैक्सीन का डेटा रूस करेगा साझा
रूसी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के हेड किरिल दिमित्रीव ने बताया है कि वैक्सीन का डेटा इस महीने के आखिर में एक अकैडमिक जर्नल में छपेगा। उन्होंने बताया है कि रूस से एक अरब खुराकों का ऑर्डर आ चुका है लेकिन उनके पास 50 करोड़ खुराकें बनाने की क्षमता है। वैक्सीन तैयार करने वाले मॉस्को के गमलेया इंस्टिट्यूट के मुताबिक 40 हजार लोगों पर 45 सेंटर्स पर टेस्ट किया जाएगा। दिमित्रीव ने बताया कि WHO को डेटा दिया जाएगा।
आखिरी चरण के ट्रायल में कई देश हिस्सा लेने पर कर रहे हैं विचार
रूस का कहना है कि यूएई, भारत, ब्राजील, सऊदी अरब और फिलिपींस समेत कई देश आखिर चरण के ट्रायल में हिस्सा लेने का विचार कर रहे हैं। इसे घरेलू रेग्युलेटरी अप्रूवल मिल चुका है जिसके बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे इसे लाइसेंस देने का ऐलान भी कर दिया था। हालांकि, इसे आखिरी चरण के ट्रायल से पहले ही अप्रूवल दिए जाने को लेकर काफी सवाल उठे हैं।