बिगड़ती लाइफस्टाइल और स्ट्रेस भरे माहौल में रहने या काम करने से हमारे मस्तिष्क से कॉर्टिसोल हार्मोन का निकलना तेज हो जाता है और ये हार्मोन ही गुस्से, तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का कारण बनता है। लेकिन कुछ आयुर्वेदिक औषधियां ऐसी हैं जिनके सेवन से रोजमर्रा के तनाव और गुस्से को ही नहीं गंभीर डिप्रेशन को भी आसानी से खत्म किया जा सकता है।
स्ट्रेस मनोविकार में बदलने में देर नहीं लगती यदि समय पर इसे कंट्रोल न किया जाए। इसलिए यदि आपको लगता है कि आप तनाव भरे माहौल में रहते हैं या तनाव आप पर हावी हो रहा तो कुछ जड़ी-बूटियों को खाना शुरू कर दें। आइए जानें क्या हैं वे बूटियां।
इन जड़ी-बूटियों में मूड स्विंग को सही करने की दम
जटामासी : ये शारीरिक थकान को दूर करने में ही कारगर नहीं बल्कि इसे खाने से तनाव बेहद तेजी से कम होता है। जटामासी दिमाग को कूल रखने के साथ मस्तिष्क से निकलने वाले कॉर्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित करती है। साथ ही ये शरीर को विषाक्त पदार्थों को बाहर भी निकालती है।
अश्वगंधा : विटामिन और एमिनो एसिड के संयोजन से बने इस औषधिय में तनाव से लड़ने का दम होता है। ये डिप्रेशन को खत्म करने वाली होती है। इतना ही नहीं डिप्रेशन, स्ट्रेस और मूड स्विंग को ठीक करने के साथ ही ये शरीर को एनर्जी और अंदर से मजबूती प्रदान करता है। इसे खाने से कंसंट्रेशन बढ़ता है नींद की समस्या दूर होती है।
ब्राह्मी : ब्राम्ही मस्तिष्क के तनाव को कम करने के साथ तनाव पैदा करने वाले हार्मोन को निकलने से रोकती है। ब्राह्मी तंत्रिका तंत्र पर काम करती है इससे कंसंट्रेशन भी बढ़ता है और याददाश्त भी बेहतर होती है। इसे पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को जरूर देना चाहिए।
भृंगराज : ये ऐसी जड़ी-बूटी है जो मस्तिष्क को खुशनुमा महसूस कराने वाली होती है। ये मस्तिष्क में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ता है, जिससे दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है और ये तनाव को कम करने का सही तरीका है। शरीर को विषैले पदार्थों को निकाल कर बॉडी को डिटॉक्स भी करता है। इससे मस्तिष्क शांत और बॉडी भी रिलैक्स रहती है।
तनाव में आप इन आयुर्वेदिक औषधियां को ले सकते हैं लेकिन लेने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह जरूर लें।