कोरोना वायरस ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है। प्रकोप इतना भयानक है कि अब तक दुनिया भर में 1 करोड़ से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं जबकि 5 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। भारत में भी इस वायरस ने जमकर कहर बरपाया है। जबसे इस महामारी ने दुनिया को अपनी गिरफ्त में लिया है, तब से एक सवाल सबकी जुबां पर है कि कोरोना वायरस से लड़ने वाली वैक्सीन कब आएगी। दुनिया भर के तमाम देशों के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन तैयार करने में जुटे हैं लेकिन अब उम्मीद जगी है कि शायद भारत इस रेस में बाजी मार लेगा।
दरअसल, हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक का दावा है कि उसने कोविड-19 की वैक्सीन तैयार कर ली है। उसने ये वैक्सीन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी (NIV) के साथ मिलकर तैयार की है। ये कोरोना से लड़ने वाली भारत की पहली इंडीजिनियस कोरोना वैक्सीन बताई जा रही है जिसका नाम 'कोवैक्सीन' (COVAXIN) रखा गया है। डीसीजीआई ने इस वैक्सीन के फेस-1 और फेस-2 क्लिनिकल ट्रायल को करने की मंजूरी भी दे दी है। आईसीएमआर के डायरेक्टर बलराम भार्गव ने चांज करने वाले देश भर के मेडिकल कॉलेजों के 12 जांचकर्ताओं को कहा है कि फास्ट ट्रैक मॉडल के तहत इंडीजिनियस वैक्सीन के ट्रायल खत्म कर लिए जाएं ताकि 15 अगस्त तक नतीजे सामने रखे जा सके।
अब सवाल ये है कि आखिर इस वैक्सीन को लेकर इतना पुख्ता दावे कैसे किए जा रहे हैं और इसको लेकर क्यों इतना आत्मविश्वास है। 'टाइम्स नाउ डिजिटल' की सलोमी से खास बातचीत करते हुए भारत बायोटेक के चेयरमैन व एमडी डॉक्टर कृष्णा एला ने बताया है कि उनको क्यों भरोसा है कि ये वैक्सीन कारगर साबित हो सकती है।
आखिर क्या है कोवैक्सीन और ये कैसे बनी?
इस सवाल पर डॉक्टर कृष्णा ने कहा, 'कोवैक्सीन एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है जिसे वेरो सेल प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है। तमाम इनएक्टिवेटेड वैक्सीन को पहले भी सफलताएं मिलती रही हैं और उनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है। वैक्सीन के स्ट्रेन को पहले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी (पुणे) से आइसोलेट किया गया, आईसीएमआर ने इसे रिसीव किया। जिसके बाद इसको भारत बायोटेक में एक वैक्सीन कैंडीडेट के रूप में तैयार कर लिया गया। भारत बायोटेक को इनएक्टिवेटेड वैक्सीन के बारे में बहुत ज्ञान है जैसे रेबीज, पोलियो, रोटावायरस, जापानी इंसेफ्टलाइटिस, चिकनगुनिया, जीका और अब SARS-CoV-2'
आखिर क्यों है इस वैक्सीन पर इतना भरोसा
कोविड-19 से लड़ने में आखिर कोवैक्सीन कैसे कारगर साबित होगी और इस वैक्सीन पर सबको इतना भरोसा क्यों है, इसकी वजह बताते हुए डॉक्टर कृष्णा एला ने कहा, 'इनएक्टिवेटेड वैक्सीन दशकों से मिलती रही हैं। सीजनल बीमारियों, इंफ्लूएंजा, पोलियो, रेबीज और जापानी इंसेफ्लाइटिस में इसी तरह की तकनीक का उपयोग करते हैं इनएक्टिवेटेड वैक्सीन बनाने के लिए। जब एक बार वैक्सीन इंसान के शरीर में इंजेक्ट कर दी जाती है, उसके अंदर संक्रमित करने की क्षमता नहीं होती क्योंकि वो एक मरा हुआ वायरस होता है। ये सिर्फ इम्यून सिस्टम को मरे हुए वायरस के रूप में सर्व करता है और वायरस के प्रति एंटीबॉडी रिस्पॉन्स माउंट होता है।'
(डिस्क्लेमरः ये विचार ऑथर के निजी विचार हैं और इसकी किसी भी तरह की जिम्मेदारी टाइम्स नेटवर्क नहीं लेता है)