विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए तथा शरीर के हर एक तंत्र के स्वास्थ्य के लिए कुछ बायोलॉजिकल प्रोसेस बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन्हीं में से एक है ब्लड क्लॉटिंग जिसे कोएग्यूलेशन भी कहा जाता है। जब कोई इंसान चोट से पीड़ित होता है तब उस जगह पर ब्लड क्लॉट हो जाता है ताकि खून को बहने से रोका जा सके। जब खून बहने से रुक जाता है तब यह खुद ब खुद प्राकृतिक तरीके से टूट जाता है। यह बेहद सरल प्रोसेस है मगर कुछ परिस्थितियों में जानलेवा भी बन सकता है।
जब किसी इंसान के ब्लड वेसल्स में ब्लड क्लॉट होने लगता है तब यह ह्रदय और शरीर के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन के प्रवाह को प्रभावित करता है जिससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी समस्या पैदा हो जाती है। इसीलिए विशेषज्ञ यह मानते हैं कि लोगों को इसका इलाज समय रहते करना चाहिए और अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
यह समस्या शरीर में कब अपने जड़ फैला रही है इसका पता लगाना भी बेहद आवश्यक है इसीलिए इस लेख को पढ़िए और जानिए कि ब्लड क्लॉटिंग के क्या सिम्टम्स हैं और कब डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।
हाथों और पैरों में क्लॉटिंग
जब हमारे हाथों और पैरों की गहरी नसों में क्लॉटिंग हो जाता है तब उसे डीप वेन्स थ्रोम्बोसिस कहते हैं। इन क्लॉट्स को खतरनाक माना जाता है क्योंकि यह बहुत आसानी से हमारे हृदय और लंग्स में जा सकते हैं। अगर यह परिस्थिति आपके शरीर के अंदर बन रही है तो हाथ या पैर के प्रभावित जगह पर सूजन, दर्द, कोमलता, सेंसेशन और रेडनेस हो सकता है।
हृदय में क्लॉट
आमतौर पर हृदय में क्लॉटिंग नहीं होती है मगर यह नामुमकिन नहीं है। अगर ह्रदय में क्लॉटिं होती है तो हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। अगर हृदय में क्लॉटिंग होती है तो छाती में भारीपन, चक्कर और सांस लेने में दिक्कत जैसे सिम्टम्स दिखाई देते हैं।
लंग्स में क्लॉटिंग
लंग्स में क्लॉटिंग की शुरुआत हाथों या पैरों के नसों में ब्लड क्लॉट होने से होती है। जब यह क्लॉट लंग्स में पहुंच जाता है तब इसे पलमोनरी एंबॉलिज्म का नाम दिया जाता है। ऐसे व्यक्ति को चेस्ट पेन, घबराहट, खून की खांसी और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
एब्डोमेन में क्लॉटिंग
ब्लड क्लॉटिंग कभी काारर आंतों में भी हो जाता है। यह लीवर के परेशानी या जरूरत से ज्यादा बर्थ कंट्रोल पिल्स का इस्तेमाल करने की वजह से होता है। ऐसी परिस्थिति में किसी इंसान को पेट में दर्द, डायरिया, मल में खून और फुला हुआ महसूस हो सकता है।
कब लेनी चाहिए डॉक्टर की सलाह?
कभी-कभी ब्लड क्लॉटिंग के सिम्टम्स को समझने में परेशानी होती है क्योंकि कई बार यह दूसरे हेल्थ प्रॉब्लम के सिम्टम्स की तरह दिखाई देते हैं। कुछ परिस्थिति में तो लोगों को इसके सिम्टम्स भी दिखाई नहीं देते हैं। पूरा डायग्नोसिस करने के बाद ही कभी-कभी इस परेशानी का पता चलता है। अगर आपको ब्लड क्लाॅटिंग के सिम्टम्स दिख रहे हैं तो आपको अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए क्योंकि सरकुलेशन में ब्लॉकेज आने के 4 मिनट बाद ही हमारे सेल्स मरने लगते हैं। इसीलिए ऐसी परिस्थिति कभी-कभी घातक साबित हो जाती है। जितना जल्दी हो सके हमें अपने डॉक्टर से इसकी सलाह लेनी चाहिए।