कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया पर टूट रहा है। सामान्य लक्षणों के साथ शुरू होने वाली इस बीमारी ने अब तक दुनियाभर में करीब 2 लाख लोगों की जान ले ली है। इस वायरस के लक्षण बाकी मौसमी बीमारियों के जैसे ही होते हैं लेकिन इसमें इतना फर्क है कि इस वायरस के कारण सांस लेने में मरीज को काफी तकलीफों सामना करना पड़ता है।
वैज्ञानिक हर रोज इस पर रिसर्च कर रहे हैं और इसका इलाज ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी तक वे इसकी वैक्सीन बनाने में नाकाम रहे हैं। अपने रिसर्च में वे हर दिन इस वायरस से जुड़ी नई-नई जानकारियां सबके सामने ला रहे हैं जो हर किसी को हैरान करने के लिए काफी है। शुरुआत में इसके बेहद सामान्य लक्षण सामने आए थे मसलन बुखार, सांस लेने में तकलीफ, कफ की समस्या।
बाद में वैज्ञानिकों ने अपने शोध के बाद बताया कि इसके लक्षण में आंखों का लाल होना भी हो सकता है। इसके बाद के रिसर्च में ये भी सामने आया कि पैरों में इन्फेक्शन या एलर्जी भी कोरोना वायरस के लक्षण हो सकते हैं। हर रोज नई जानकारियां इस महामारी से छुटकारा दिलाने में भी एक बड़ी बाधा बनकर सामने आ रही है। जब तक इस बीमारी को कोई अच्छे से समझ पाता है तब तक दूसरे दिन इससे जुड़ी एक नई चौंकाने वाली जानकारी सबके सामने आ जाती है जिससे ये समस्या दिन पर दिन और जटिल होती जा रही है।
पहले दिन- बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सूखी खांसी। सूखी खांसी के साथ बुखार शुरू होता है। इसके साथ ही मांसपेशियों में दर्द व थकान की शिकायत भी होती है। इसके अलावा गले में खराश के साथ-साथ नाक बहना भी शुरू हो जाता है बीच-बीच में छींकभी आती है। वुहान में किए गए स्टडी के मुताबिक 10 फसदी लोगों में डायरिया के लक्षण भी पाए गए।
पांचवें दिन- सांस लेने में तकलीफ। वुहान के झोंगनान अस्पताल के द्वारा 138 मरीजों पर किए गए स्टडी में ये सामने आया कि उनमें सांस लेने की समस्या भी है। वे छाती में टाइटनेस और सफोकेशन महसूस करते हैं।
सातवें दिन- सांस लेने में अधिक समस्या है तो अस्पताल में भर्ती। अधिकांश बीमारियों में एक सप्ताह के अंदर सारे लक्षण दिख जाते हैं। स्टडी के मुताबिक इन मरीजों में 85 फीसदी लोग कोरोना वायरस के मरीज पाए गए। इसके बाद इन्हें आइसोलेशन में रखा गया। उन्हें करीब 14 दिनों के लिए अपने परिवार से दूर अस्पताल में आइसोलेट रखा गया। घर का पहला सदस्य जिस दिन बीमार हुआ उस दिन से 14 दिन की गिनती की जाती है।
आठवें दिन- रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी। इसमें मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। इसमें जान जाने का भी खतरा रहता है क्योंकि इसमें फेफड़ा इतना कमजोर हो जाता है कि वह शरीर के अंगों को ऑक्सीजन पहुंचाने में सक्षम नहीं रह जाता है। इसमें सांस लेने में समस्या भी बढ़ जाती है। इस स्टेज में फेफड़ों में इन्फेक्शन हो जाता है और जिस कारण वह ठीक से काम करना बंद कर देता है। इसमें बेहोश होने की भी फीलिंग आती रहती है, क्योंकि शरीर बिल्कुल सुस्त और कमजोर हो जाता है।
दसवें दिन- काफी ज्यादा केयर की जरूरत। इसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है जिसके बाद उसे वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत आ पड़ती है। इस दौरान मरीज को सबसे ज्यादा केयर की जरूरत होती है।
12वें दिन- बुखार समाप्त। इस स्टेज पर बीमारी का सबसे पहला लक्षण बुखार समाप्त हो जाता है। हालांकि कफ की समस्या बनी रहती है। स्टडी के मुताबिक 191 में 45 फीसदी मरीजों में 12वें दिन डिस्चार्ज के बाद भी कफ की समस्या देखी गई।
13वें दिन- सांस लेने की तकलीफ खत्म। 13वें दिन वो दिन होता है जो ये फैसला करता है कि जो सांस लेने की तकलीफ को सहन करके बच गया वह बच गया वरना मरीज की मौत हो जाती है।
कोरोना वायरस महामारी के एपीसेंटर वुहान में किए गए एक स्टडी के मुताबिक कोविड-19 बीमारी के मरीज में सबसे ज्यादा लक्षण बुखार के दिखते हैं, इसके बाद थकान और फिर सांस लेने की समस्या आती है। ये सब लक्षण एक के बाद एक करके आते हैं। इसी स्टडी में ये भी बताया गया कि कोविड-19 के ऐसे मरीज जिन्हें 29 दिसंबर 2019 के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया वे 31 जनवरी 2020 तक या तो डिस्चार्ज कर दिए गए या फिर उनकी मौत हो गई।