नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम को लेकर दुनियाभर में तमाम रिसर्च हो रहे हैं और भारत भी इसमें पीछे नहीं है। जिस तेजी के साथ यहां वैक्सीन पर काम हो रहे हैं, उससे जाहिर होता है कि अगले कुछ दिनों में यहां कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन उपलब्ध हो सकता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि लगभग 130 करोड़ की आबादी में यह टीका सबसे पहले किसे लगेगा?
वैक्सीन की उपलब्धता के बाद भी क्या हर किसी को टीका लगा पाना संभव होगा और आखिर यह किस तरह तक प्रभावी हो सकता है? ऐसे कई सवाल हैं, जो लोगों के जेहन में आ रहे हैं। इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया में करीब 8 अरब की आबादी है और सभी को टीका लगा पाना तार्किक और व्यावहारिक रूप से संभव नहीं हो सकेगा। यह बात बाद के संदर्भ में भी लागू होती है, जो एक अरब से अधिक आबादी वाला देश है।
यहां तक कि किसी छोटे देश में भी पूरी आबादी का टीकाकरण एक बड़ी चुनौती है और भारत में जहां 1.3 अरब से अधिक की आबादी है और जिनमें से अधिकांश गांवों में रहती है, उन सभी को टीका मुहैया कराने में महीनों या वर्षों लग सकते हैं।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि टीका भले ही बहुत अच्छा हो, फिर भी यह 100 प्रतिशत तक प्रभावी नहीं हो सकता। इस बारे में अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फौसी जैसे लोगों ने कहा है कि अगर हमें 70-75 प्रतिशत प्रभावी वैक्सीन भी मिलता है तो खुद को भाग्यशाली समझना चाहिए।
अब जहां तक यह सवाल है कि अगर देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन उपलब्ध होती है तो सबसे पहले किसे टीका लगेगा? तो समझ लेने की जरूरत है कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में जुटे फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाने की प्राथमिकता सबसे पहले हो सकती है, जो दिनरात जोखिम से जूझते हुए लोगों की सेवा में जुटे रहते हैं। इनमें स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस और आवश्यक सेवा से जुड़े कर्मचारी शामिल हैं। समाज की बेहतरी के लिए भी इनका स्वस्थ रहना जरूरी है और इस लिहाज से इन्हें सबसे पहले टीका लगाया जा सकता है, जैसा कि रूस ने भी किया है।
इस घातक बीमारी के प्रति बुजुर्गों की संवेदनशीलता को देखते हुए कोविड-19 का टीका फ्रंटलाइन वर्कर्स बाद सबसे पहले बुजुर्गों को ही लगना चाहिए। लेकिन इस क्रम में यह भी देखना होगा कि यह उनके लिए पूरी तरह सुरक्षित हो।
कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर टीका इसके बाद उन क्षेत्रों में लोगों को लगाया जा सकता है, जहां इस घातक बीमारी का प्रसार तेजी से हो रहा है। इस क्रम में यह भी ध्यान रखना होगा कि टीके की उपलब्धता कितनी है और कितने बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन होता है तथा यह कितना किफायती हो सकता है।