कोरोना की दूसरी लहर ने देशभर में कोहराम मचा रखा है, बीते दिन लाखों लोग इस भयावह महामारी के चपेट में आए, वहीं हजारों की तादाद में लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। हालांकि दूसरी लहर अब धीरे धीरे कम होने की उम्मीद लगाई जा रही है और संक्रमण के मामले पहले से कम आ रहे हैं। लेकिन मौत के आंकड़ों में अभी कोई खासा कमी नहीं आई है। तथा वैज्ञानिकों द्वारा अभी तीसरे लहर की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में हर दूसरा व्यक्ति सदमे में है। कॉमरेडिटी वाले मरीजों में कोरोना वायरस से संक्रमित होने और वायरस का भयावह रूप लेने का अधिक खतरा रहता है।
ऐसे में विशेषज्ञों द्वारा लगातार उच्च रक्तचाप वाले मरीजों के लिए चिंता जताई जा रही है। आपको बता दें खानपान और जीवनशैली में बदलाव हाइपरटेंशन का सबसे बड़ा कारण है। विशेषज्ञों द्वारा कई शोध में पाया गया कि उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को इस भयावह महामारी का अधिक खतरा है। तथा रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के चपेट में आने के बाद जान गंवाने वाले मरीजों में भी हाइपरटेंशन वाले मरीजों की अधिक संख्या है। ऐसे में उच्च रक्तचाप और डायबिटीज के मरीजों को कोरोना के प्रति अधिक सजग होने की आवश्यकता है। इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं कोरोना वायरस और हाइपरटेंशन के बीच क्या संबंध है।
उच्च रक्तचाप से ग्रसित मरीजों में वायरस विकराल रूप कर लेता है धारण
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (द इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के अनुसार कोरोना से संक्रमित 80 प्रतिशत लोगो में माइल्ड यानि हल्के लक्षण देखे जाते हैं और वह जल्द ही पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। लेकिन उच्च रक्तचाप या ह्रदय संबंधी अन्य बीमारी से पीड़ित लोगों में वायरस अपना विकराल रूप धारण कर लेता है। तथा उन्हें अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ संतोष कुमार डोरा के अनुसार उच्च रक्तचाप ह्रदय संबंधी गंभीर रोगों को जन्म देता है और हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ाता है। इसे साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि इसका कोई भी लक्षण नहीं होता। ऐसे में आपको डायबिटीज के खिलाफ अधिक सजग होने की आवश्यकता है।
तनाव हाइपरटेंशन का सबसे बड़ा कारण है
टाइम्स नाऊ के साथ बातचीत के दौरान डॉक्टर संतोष ने बताया कि खानपान और अस्वस्थ जीवनशैली तथा तनाव का बढ़ता स्तर वर्तमान समय में उच्च रक्तचाप का सबसे बड़ा कारण है। उनका सुझाव है कि इससे बचने के लिए तनाव मुक्त रहें और नियमित तौर पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच करते रहें। यदि ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो इसे नॉर्मल करने के लिए उपाय करें। आपको बता दें हाई ब्लड प्रेशर का ही दूसरा नाम है हाइपरटेंशन औऱ उच्च रक्तचाप।
प्रीहाइपरटेंशन उच्च रक्तचाप को देता है जन्म
ब्लड प्रेशर बढ़ने से उच्च रक्तचाप की समस्या खड़ी हो जाती है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि प्रीहाइपरटेंशन क्या होता है, क्योंकि यही वह स्थिति है जब हाइपरटेंशन से जुड़ी सभी चीजों की शुरुआत होती है। आपको बता दें प्रीहाइपरटेंशन वो स्थिति है जब सिस्टोलिक रक्तचाप 120 से 139 मिमी एचजी के बीच होता है और डायस्टोलिक रक्तचाप 80 से 89 मिमी एचजी के बीच होता है। वहीं उच्च रक्तचाप उस स्थिति को कहते हैं जब सिस्टोलिक रक्तचाप 140 मिमी एचीजी या उससे अधिक होता है और डायस्टोलिक रक्तचाप 90 मिमी एचजी या उससे अधिक होता है। उच्च रक्तचाप से बचने के लिए प्रीहाइपरटेंशन को नियंत्रित करें। ऐसे में आइए जानते हैं हाइपरटेंशन नियंत्रित करने के 5 तरीके।
हाइपपटेंशन को नियंत्रित करने के कारगार तरीके
उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीजों में कोरोना संक्रमण का खतरा होता है छ: गुना अधिक
इजराइल के चैम शेबा मेडिकल सेंटर के एक अध्ययन के मुताबिक उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों में इस भयावह महामारी के संक्रमण का खतरा छह गुना अधिक होता है। जी हां इतना ही नहीं कोरोना के चपेट में आने के बाद जान गंवाने वालों में भी उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीजों की संख्या अधिक है। आपको बता दें जीवनशैली में बदलाव और तनाव डायबिटीज के प्रमुख कारणों में से एक है।