Monkeypox cases in India:देश में मंकीपॉक्स से पहली मौत हो गई है। मरने वाला 22 साल का शख्स केरल का रहने वाला था और वह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटा था। युवक की रिपोर्ट संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में ही मंकीपॉक्स पॉजिटिव आई थी। पहली मौत को देखते हुए केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स के संक्रमण को रोकने के लिए एक टॉस्क फोर्स का गठन कर दिया है। इस बीच केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा है कि युवक की मौत के कारणों की जांच की जाएगी। उसके नमूनों की रिपोर्ट अब तक आई नहीं है। उन्होंने कहा कि मरीज युवा था और उसे कोई और बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी कोई दूसरी दिक्कत नहीं थी।
भारत अब तक कितने मामले
देश में अब तक मंकीपॉक्स के 4 मरीज पाए गए हैं। इसमें से 3 मरीज केरल और एक मरीज दिल्ली का है। केरल के रहने वाले तीनों मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री विदेश की है। यानी वह विदेश में थे और भारत आए, जबकि दिल्ली के मरीज ने कोई विदेश यात्री नहीं की थी। और अब एक शख्स की मौत ने दो तरह की चिंताएं बढ़ा दी हैं। पहली तो यह कि क्या मंकीपॉक्स अब उन लोगों में भी फैल रहा है, जिन्होंने हाल-फिलहाल कोई विदेश यात्रा नहीं की है। और दूसरी अहम बात यह है कि क्या मंकीपॉक्स जानलेवा है ?
दुनिया में 75 से ज्यादा मौतें
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC)की ताजा रिपोर्ट (29 जुलाई) के अनुसार दुनिया के 79 देशों में 22485 केस सामने आ चुके हैं। और अफ्रीका सीडीएस की रिपोर्ट के अनुसार 25 जुलाई तक दुनिया में 75 लोगों के मौत मंकीपॉक्स से हो चुकी थी। उसके स्पेन,भारत, ब्राजील में मंकीपॉक्स से एक-एक मौत का मामला सामने आया है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मौजूदा समय में मृत्यु दर 3-6 फीसदी के बीच है। जबकि ऐतिहासिक स्तर पर मृत्यु दर एक से 11 फीसदी के बीच है।
अभी तक के मामलों को देखा जाय तो ज्यादातर मामलों में मंकीपॉक्स अपने आप ठीक हो जाता है। और इससे बड़े खतरे की संभावना कम है। मंकीपॉक्स के आम लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सुस्ती, शरीर पर चकत्ते जो 2-3 सप्ताह तक रहते हैं। कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों और दूसरे व्यक्तियों पर यह कभी-कभी घातक भी हो सकता है। जटिलताओं में निमोनिया, इन्सेफलाइटिस और कॉर्निया में संक्रमण भी शामिल है।
कोविड-19 जैसा खतरनाक नहीं
सबसे अहम बात यह है कि मंकीपॉक्स, कोविड-19 जैसी कोई नई बीमारी नही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के अनुसार 1970 में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आने के बाद अफ्रीका के 11 देशों में पहले भी केस आ चुके हैं। इसमें बेनिन, कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, गैबॉन, कोटे डी आइवर, लाइबेरिया, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य, सिएरा लियोन और दक्षिण सूडान शामिल हैं। इसके अलावा इसमें कोविड-19 जैसा संक्रमण नहीं होता है। यानी यह किसी व्यक्ति के केवल करीब आने और हवा में संक्रमण नहीं होता है।
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वैक्सीन पर क्या है अपडेट
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चेचक को रोकने के लिए बनाई गई वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ 85 फीसदी तक इफेक्टिव है। इसलिए जिन लोगों को पहले से चेचक की वैक्सीन लगी हुई है, उनको मंकीपॉक्स का संक्रमण होने से हल्की बीमारी का ही डर है। ऐसे में जिन लोगों को पहली पीढ़ी की चेचक वैक्सीन लगी हुई है, उनके लिए जोखिम कम है। इसके लिए अलावा दो डोज वाली मंकीपॉक्स रोधी वैक्सीन साल 2019 विकसित की गई है। हालांकि अभी उसका उपलब्धता सीमित है।
हाल ही में भारत सरकार ने मंकीपॉक्स की वैक्सीन विकसित करने के लिए टेंडर जारी कर दिया है। इस बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) ने एक मरीज के नमूने से मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) को अलग कर दिया है, जो बीमारी के खिलाफ जांच किट और टीका विकसित करने में कारगर हो सता है। और इसके लिए आईसीएमआर ने टीके को विकसित तरने और जांच किट बनाने में संयुक्त सहयोग के लिए कंपनियों से EOI भी मांगे है।
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कितन बातों का रखें ध्यान
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स को लेकर गाइडलाइन जारी की है, जिसके अनुसार अगर किसी व्यक्ति की बीते 21 दिनों में ऐसे किसी देश की ट्रैवल हिस्ट्री है, जहां पर मंकीपॉक्स का संक्रमण है, तो उसे इन बातों का खास तौर से ध्यान देना जरूरी है। इसके तहत शरीर पर सूंजे हुए लिम्फ नोड या ग्रंथियां,बुखार,सिर दर्द,शरीर दर्द,कमजोरी लगना और शरीर पर रैशेज होते हैं।यदि ये लक्षण दिखाईं दे तो तुरंत उसकी जानकारी स्वास्थ्य अधिकारियों को दी जाय।