Restless Syndrome: अक्सर कुछ लोगों को बैठे हुए पैर हिलाने की आदत होती है। ऐसे में अगर आपको भी इस तरह की कोई आदत है, तो ये आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। दरअसल, ये शरीर में आयरन की कमी को दिखाती है। ये समस्या ज्यादातर 35 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है। एक शोध के मुताबिक, जो लोग ज्यादा पैर हिलाते हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है। इस समस्या को रेस्टलेस सिंड्रोम कहते हैं। आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं इस समस्या के लक्षण, इलाज औक कारणों के बारे में, तो चलिए जानते हैं-
रेस्टलेस सिंड्रोम के कारण
यह बीमारी शरीर में आयरन की कमी की वजह से होती है। इसके अलावा किडनी, पार्किंसंस से जूझ रहे मरीजों व गर्भवतियों में डिलिवरी के अंतिम दिनों में हार्मोनल बदलाव की वजह से भी ये समस्या हो सकती है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति ज्यादा शराब का सेवन करता है या एलर्जी व जुकाम की गवाइ खाता है, तो भी रेस्टलेस सिंड्रोल होने का खतरा रहता है। इसके साथ ही शुगर, बीपी व दिल के मरीजों में इसका खतरा बढ़ता है।
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रेस्टलेस सिंड्रोम का इलाज
इस बीमारी के इलाज के तौर पर आयरन की दवाएं दी जाती हैं। दरअसल, यह आयरन की कमी से होता है, इसलिए इसे दूर करने के लिए सबसे पहले आयरन की दवाइयां ही दी जाती है, ताकि शरीर में आयरन की पूर्ति हो जाए। इसके साथ ही कुछ अन्य दवाइयां भी दी जाती हैं जो सोने से दो घंटे पहले लेनी होती हैं। ये नींद न आने की समस्या को दूर करती हैं। इस अलावा कुछ खास व्यायाम करके भी इस समस्या से राहत पाई जा सकती है।
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रेस्टलेस सिंड्रोम के लक्षण
रेस्टलेस सिंड्रोल का सबसे शुरुआती लक्षण होता है पैरों में झनझनाहट व चीटिंयों के चलने जैसा महसूस होना। जो व्यक्ति ज्यादा चिंता में होता है, उनसे ये समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इसके सात ही जो व्यक्ति पैरों को बार-बार हिलाता है, उसके नकारात्मक विचारों को ज्यादा ऊर्जा मिलती है, जिससे चिंता व तनाव की स्थिति बनती है, जो आपके दिल के लिए खतरनाक हो सकता है।
( डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)