बुखार कई प्रकार के होते हैं, कई लोग इसे रोग समझ लेते हैं लेकिन वास्तव में यह एक चिकित्सकीय लक्षण है जो अलग-अलग प्रकार की शारीरिक बीमारियों के कारण होता है। सर्दी, जुकाम, सिर दर्द और बदन दर्द के कारण बुखार होना आम बात है लेकिन कभी कभी शरीर के किसी अंग में संक्रण होने की वजह से भी बुखार हो जाता है जिसे ज्वर कहा जाता है यह बेहद खतरनाक होता है। इसमें शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता है और तपने लगता है जिसके बाद मरीज को काफी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।
आज हम यहां आपको इन्हीं बुखार के बारे में बताएंगे साथ ही इससे बचने के घरेलू उपायों से भी आपको रुबरू कराएंगे। सबसे पहले आप बुखार की परिभाषा को समझिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक जब शरीर का तापमान सामान्य 98.6 डिग्री से बढ़ जाता है तो उसे बुखार कहा जाता है। आमतौर पर सामान्य तापमान 98 से 99 डिग्री फारेनहाइट के बीच माना जाता है। लेकिन यही तापमान अरह बढ़कर 100 के पार चला जाता है तो व्यक्ति बुखार से पीड़ित हो जाता है। एक नवजात के शरीर का तापमान आम तौर पर 97.9 से 100.4 डिग्री फारेनहाइट के बीच होता है।
कभी कभी दवाईयों के गलत प्रभाव के कारण भी बुखार हो जाता है, जोड़ों के दर्द, डिहाइड्रेशन, लू लगने से और फेफड़े संबंधी बीमारियों के कारण बी बुखार हो सकते हैं। अब बात करते हैं इसके लक्षण की। आमतौर पर बुखार के लक्षण होते हैं ठंड लगना, शरीर का तापमान बढ़ना, शरीर में कंपन, भूख ना लगना, पसीना आना, तनाव, सुस्ती आदि। जानते हैं क्या हैं इसके घरेलू उपाय-
ठंडे पानी की पट्टी
ठंडे पानी में तौलिए को भिगोकर इसे सिर पर आधे मिनट के लिए रखें। 10 मिनट तक यह प्रक्रिया दोहराते रहें। इससे शरीर के बढ़े हुए तापमान को कम करने में मदद मिलती है। ठंडा पानी का असर तापमान को कम करता है और इससे मरीज को आराम का अनुभव होता है। कभी-कभी तेज तापमान होने पर मरीज को स्ट्रोक भी आने का खतरा रहता है।
तुलसी
एक बर्तन में तुलसी के 10 पत्ते और आधा चम्मच कुटी हुई अदरक लेकर 8 मिनट तक उबालें। इसके पानी को छान लें फिर इसमें शहद मिला लें अब दिन में दो बार दवाई की भांति इसका सेवन करें। इससे शरीर को एंटीबायोटिक मिलता है जिससे बुखार उतरने में मदद मिलती है।
तिल का तेल
चार से पांच लहसुन की कलियों को तिल के तेल में तल लें, अब इस तले हुए लहसुन में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर रोजाना खाएं। तिल के तेल में भरपूर मात्रा में विटामिन ई पाया जाता है जो एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी वायरल की तरह काम करता है। प्राचीन काल से ही चिल को आयुर्वेद में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
पुदीने का पत्ता
एक बर्तन में एक कप पानी और उसमें 3-4 पुदीने का पत्ता और थोड़ी चीनी मिलाकर गर्म करें। अब इस पानी को छान लें, आप चाहें तो इसमें नींबू का रस भी मिला सकते हैं। अब इस पुदीने की चाय को बुखार में दिन में दो से तीन बार पिएं। पुदीना ठंडी तासीर का होता है जो शरीर के तापमान को कम करने में मदद करता है। शरीर के अतिरिक्त गर्मी को बाहर निकालने में यह मदद करता है। यही कारण है कि पुदीने का इस्तेमाल कई दवाईयों में भी किया जाता है।