नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौर में मास्क पहनना बेहद जरूरी है। इसे पहनने से बचना यानी अपनी मौत को दस्तक देना। जब से यह महामारी आई है मास्क के सही चयन से लेकर मास्क पहनने तक को लेकर कई तरह के तर्क आए। शुरू में जहां माना जा रहा था सिर्फ एन-95 मास्क ही सबसे सुरक्षित है अब 3 तह वाला सर्जिकल मास्क और यहां तक की कपड़े से बना मास्क भी सुरक्षित माना जा रहा है। आज कल एक नई बहस भी छिड़ गई है मास्क पहनने से सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
कुछ लोगों ने दावा किया की मास्क पहनने से हम ऑक्सीजन कम ओर कार्बन डाइऑक्साइड ज़्यादा ग्रहण करने लगे हैं जिसके चलते स्वास मरीजों कि संख्या में वृद्धि आई है। परन्तु अमेरिकन थोरेसिक सोसाइटी के एक अध्ययन के परिणाम के अनुसार मास्क पहनने से शरीर के स्वासन प्रणाली के कार्य में कोई दिक्कत य कमी नहीं आती, न ही किसी प्रकार का विकार उत्पन्न होता है।
अमेरिकन थोरेसिक सोसाइटी के वार्षिक अंक में छपे एक आलेख में इस अध्ययन के परिणाम के हवाले से डॉक्टर मिशेल कैंपोस, एमडी कहती हैं ने इस संबंध में कुछ दावे किए हैं। आलेख का शीर्षक है, 'इफेक्ट ऑफ फेस मास्क ऑन गेसियस एक्सचेंज इन हैल्थी पर्सन एंड पर्सन विद सीओपीडी' अर्थात् फेस मास्क लगाने से श्वसन अदान प्रदान का स्वस्थ व्यक्तियों व सीओपीडी मरीजों पर असर।
सही मास्क का चयन जरूरी
इस अध्ययन में डॉ मिशेल केंपोस कहती हैं कि, "हम देखते हैं कि असर (फेस मास्क लगाने का असर) बहुत ही कम उन लोगों पर भी हुआ जिनको गंभीर श्वास समस्याएं थीं।" वह आगे कहती हैं सांस की कमी हम उन लोगों में भी देखते हैं जो उचाई पर चढ़ते हैं या बहुत ही तेज़ी से चलते हैं इसका मतलब यह नहीं होगा की उनकी गैस की अदान प्रदान करने की क्षमता में कमी होने लग गई। मास्क पहनने पर सांस में तकलीफ उन लोगों को ज़्यादा होती है जो ज़्यादा कसे मास्क पहनते हैं। यदि आप अन्य लोगों से सुरक्षित दूरी पर हैं और ज़्यादा या तेज़ी से चलने के कारण सांस लेने में दिक्कत आती है तो आप मास्क हटा सकते हैं। हवा के काम प्रवह होने के कारण भी सांस उखाड़ने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। अतः ऐसे मास्क का चयन करें जो आपके चेहरे के हिसाब से बना हो ओर नाक व मुंह पर से ज़्यादा कसा न हो।
इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
डॉ मिशेल कैंपोस ने कॉविड-19 से सुरक्षित रहने के लिए मास्क पहनने पर ज़्यादा ज़ोर दिया, इस संदर्भ में वह कहती हैं कि,कोरोना वाइरस से बचाव के लिए फेस मस्क पहनना अति आवश्यक है। यदि सर्जिकल मास्क उपलब्ध नहीं है तो कपड़े का मास्क भी पहना जा सकता है, को कम से कम कपड़ों की दो परतों का बना हो। जिन लोगों को श्वास संबंधी समस्या (गंभीर) हैं उनको भी मास्क के साथ साथ नियामिश हाथ धोने व लोगों से दूरी का भी विशेष ध्यान रखना होगा जिससे उनको और परेशानी का सामना न करना पड़े।
मास्क कोरोना से बचाव में हर लिहाज से जरूरी
इस तरह के अध्ययन के पीछे की वजह फ्लोरिडा में हुई एक सार्वजानिक सुनवाई है जिसमें मास्क के प्रयोग से श्वास संबंधित विकारों के हवाले से मास्क न पहनने की बात कही गई थी। परिणास्वरूप डॉ मिशेल कहती हैं कि, माना शोध बड़े पैमाने पर नहीं हुआ लेकिन सैंपल साइज छोटा होते हुए इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मास्क के चयन से व्यक्तिगत तौर पर कुछ असहजता का सामना करना पड़ सकता है परन्तु इससे हर व्यक्ति की सुरक्षा पर सवाल नहीं खड़े किए जा सकते हैं। लोगों को यह कहना भ्रमित करना होगा कि मास्क उनकी जान ले लेगा।