Noida के Twin Tower ढहने से होगा प्रदूषण, अगर पड़ोस में रहते हैं तो दरवाजे बंद करने समेत इन बातों का रखें ध्‍यान

Noida Twin Tower Demolition: नोएडा ट्विन टावर डिमोलेशन का असर इसके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों पर पड़ना लगभग तय है। पहले विस्फोट से उठने वाला धुंआ और फिर करीब तीन माह तक उस मलबे को उठाने का काम। जाहिर है इसका सीधा असर क्षेत्र के लोगों की सेहत पर पड़ेगा। इस प्रदूषण से बचने के लिए कुछ बातों का ध्‍यान रखना बेहद जरूरी है।

Noida Twin Tower Demolition, How to avoid pollution side effects from noida Twin Tower demolition
ट्विन टॉवर डिमोलिशन के बाद ऐसे करें प्रदूषण से बचाव   |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • डिमोलिशन के बाद आस-पास के इलाके में वायू प्रदूषण का रहेगा असर
  • खिड़कियों और दरवाजों को कुछ दिनों तक रखें बंद
  • अस्थमा, सीओपीडी या फेफड़ों से संबंधित मरीज रखें अपना ध्‍यान

Noida Twin Tower Demolition: नोएडा ट्विन टावर आज दोपहर 2:30 बजे चंद सेकेंड में जमींदोज हो जाएंगे। इस डिमोलिशन के दौरान किसी तरह का कोई नुकसान न हो, इसलिए आसपास के एरिया को पूरी तरह से सील कर दिया गया है। हालांकि, डिमोलिशन का असर सिर्फ आज तक ही सीमित नहीं रहेगा। ट्विन टावरों के ध्वस्त होते ही वातावरण में बहुत बड़े से लेकर बहुत छोटे धूल कण फैल जाएंगे। जो महीनों तक आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालेंगे। अगर आप भी  ट्विन टावर के पास रहते हैं तो इस प्रदूषण से खुद को व अपने परिवार को सुरक्षित करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं।

बता दें कि किसी भी बिल्डिंग को बनाने में सीमेंट, रेता और लोहे का उपयोग होता है। इन तीनों चीजों से बनी बिल्डिंग जब टूटती है तो इसमें से निकलने वाली गैसों का प्रकोप इतना अधिक होता है कि 300 से 400 मीटर के एरिया में ऑक्सिजन की कमी कर सकती हैं। इससे निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसी गैस सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक है। इसके अलावा इतने छोटे धूल के कण निकलते हैं जो दिखाई नहीं देते, लेकिन आंख, हार्ट पर गहरा असर डाल सकते हैं। इससे लोगों में बेचैनी व सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

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जानें, आपको क्‍या करना है और क्‍या नहीं

अगर आप ट्विन टावर के नजदीक हैं तो अपनी खिड़कियों और दरवाजों को बंद कर उसके बारीक छेदों को भी किसी कपड़े या कागज से बंद कर दें, जिससे धूल कण अंदर न आ सकें। इन खिड़कियों और दरवाजों को तब तक न खोलें, जब तक बहुत ज्‍यादा जरूरी न हो या फिर जब तक बारिश या तेज हवा न चले। बारिश जहां धूल कणों को खत्‍म कर देती है, वहीं तेज हवा भी इन्‍हें तितर-बितर कर देगा। यह जरूर सुनिश्चित करें कि आप घर के फर्श को रोजाना कम से कम एक बार जरूर साफ करें। ध्‍यान रहे कि कपड़े या डस्टर से डस्टिंग न करें, गीला पोछा या वैक्यूम क्लीनिंग का उपयोग करें। यह अच्‍छा होगा कि अगर आप विध्वंस के एक दिन बाद अपने सभी लिनन और पर्दे धो लें। साथ ही अगर आपके पास एयर प्यूरीफायर व एसी है, तो उसे प्लग ऑन रखें।

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स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ सकता है यह प्रभाव

अगर आप बीपी, शुगर, अस्थमा या किसी अन्य सांस से संबंधित बीमारी से पीड़ित हैं तो अपनी दवा लेना न भूलें। वहीं अस्थमा, सीओपीडी या फेफड़ों से संबंधित अन्य रोग के रोगी अपने इनहेलर्स का उपयोग कर सकते हैं। बुनियादी स्वच्छता का पालन करते हुए अपने चेहरे को नियमित रूप से दिन में दो से तीन बार धो लें, खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेट रखें और ताजे फल खाएं। वहीं अगर आपको गले में खराश, छाती में जमाव, खांसी, सिर दर्द, बुखार, आंखों, नाक और त्वचा में खुजली का अनुभव हो तो तत्‍काल डॉक्‍टर से संपर्क करें।

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