नई दिल्ली. जुलाई से लेकर नवंबर तक डेंगू होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। यदि आप प्रेग्नेंट हैं तो आपको अपना इन दिनों खास ख्याल रखना होगा। ज्यादा फीवर हो तो डॉक्टर के संपर्क में रहें, क्योंकि ऐसे में बच्चेदानी से ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है, जिससे मिसकैरेज हो सकता है।
डेंगू प्रेग्नेंसी में हो जाएं तो सबसे पहले आप बिलकुल भी पैनिक न करें, बल्कि इससे उबरने के लिए प्रयास करें। डेंगू का इलाज घर पर ही किया जा सकता है और इसकी समय पर जांच होनी जरूरी है। साथ ही अगर आप लैक्टिंग मदर हैं तो आपको भी अपने साथ अपने शिशु के लिए भी कुछ जरूरी सावधानी बरतनी होगी।
डेंगू पता चलते ही सबसे पहला काम है, आराम करना। किसी भी तरह का काम या वॉक करना बंद कर दें, वरना प्लेटलेट्स कम होने लगेंगी। पानी की कमी बिलकुल न होने दें शरीर में और हर घंटे 200 से 250 एमएल लिक्विड जरूर लें। डेंगू के कारण डिलिवरी के दौरान हाई ब्लीडिंग का खतरा रहता है। जन्म के बाद बच्चे में भी ये वायरस फैल सकता है।
लें विटामिन सी वाले आहार
डेंगू होने पर विटामिन सी युक्त आहार लें। नींबू पानी, आंवला, संतरा आदि लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और संक्रमण का खतरा कम होगा। तुलसी और शहद भी डेंगू से बचाता है। तुलसी को पानी में उबालकर इसमें शहद डालकर दिन में एक बार जरूरी पीएं।
पीपीते के पत्ते डेंगू में रामबाण होते हैं। हरे पत्ते का रस निकालकर दिन में दो बार लगभग 2-3 चम्मच की मात्रा में लें। इसमें मौजूद प्रोटीन और पपेन नामक एंजाइम रेड ब्लड सेल को बढ़ता है। डेंगू में गिलोय तो अमृत के समान होती है। ये रेड ब्लड सेल को बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ती है।
खूब खाएं मेथी का साग
अनार भी डेंगू में होने वाले प्लेटलेट्स और रेड ब्लड सेल की कमी को दूर करता है और शरीर को ताकत देता है। इसमें मौजूद विटामिन ई, सी, ए और फोलिक एसिड और एंटीऑक्सीडेंट की जरूरत इस दौरान सबसे ज्यादा होती है।
डेंगू में मेथी की हरी पत्तियों की साग खूब खाएं। ये हानिकारक और विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल देती है। डेंगू से बचने के लिए पूरी बांह वाले कपड़े पहनें और मच्छरों को भगाने वाले स्प्रे, क्रीम आदि का प्रयोग करें।
ये हैंं डेंगू के लक्षण
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।)