नई दिल्ली: होली में रंग और गुलाल का विशेष महत्व होता है। रंग और गुलाल खेलते समय जरूर याद रखे कृपया इन सभी को आंखों, कान या फिर नाक के अंदर सांसों में जाने से रोकना चाहिए। काफी बार कई सारे मरीज सांस के रोगी हैं, जिन्हें एलर्जी है, जिन्हें दम फूलने की शिकायतें, खुजली या फिर धूल गड्ढे और धुंए से एलर्जी है उन्हें अपने त्वचा पर आर्टिफीशियल रंगों खासकर सूखे गुलाल इत्यादि के सास में मिलने से बचना चाहिए। डॉ अभिषेक रंजन के मुताबिक आजकल आर्गेनिक गुलाल का चलन है, कोशिश करें कि बिना केमिकल्स के आर्गेनिक गुलाल या रंगों का सिर्फ प्रयोग करे।
किसी भीं तरीक़े से एलर्जी हो जाने पर अचानक दम फूलना, सास में दिक्कत आना, खासी शुरू होना, छींक आना, आंखों में जलन, त्वचा में खुजली शुरू हो सकती है। एन्टी एलर्जी दवाईया जरूर घरों पर रखे, जरूरत के समय तुरन्त एक गोली ले सकते है जैसे कि levocetrizine, Fexofenadine, Bepostatine, Belastine।
अपनी त्वचा पर मॉश्चराइजर का प्रयोग जरूरी
रंगों को धोने के बाद जरूर अपनी त्वचा पर मॉश्चराइजर लगानी चाहिये। जो लोग इन्हेलर्स लेते हैं उन्हें सही समय सुबह शाम इन्हेलर्स लेते रहने चाहिए। बहुत ज्यादा गुलाल या पानी मे अलग अलग केमिकल्स से आपको दम्म का दौरा पड़ सकता है। इसलिए ऐसे सभी अलर्जेन्स से दूरी बनाकर रखे। सतर्कता से अपना सावधानी रखते हुए, सही तरीके से होली खेलने पर न सिर्फ दम्म नही फूलेगा बल्कि होली भी आप बेहद मस्ती के साथ उमंग सहित मना पाएंगे।
गंदी चीजों से नहीं खेले होली
रंगों के त्योहार में सपरिवार खुशहाली मनाने हेतु आप अपने आस पास अवश्य इस तथ्यों को ध्यान दे। बहुत बार नवयुवक दोस्तो के टोली में गलियों मोहल्लों में घूम-घूम कर गंदे पानी, नाली के आस पास के पानी, सड़क पर जमा कीचड़,गोबर इत्यादि को पानी मे मिलाकर या पुराने मोबाइल या इंजन आयल या अन्य पदार्थो को सीधे या पानी मे मिलाकर किसी को न भिगोये।
जाने अनजाने न सिर्फ उस व्यक्ति को बल्कि खुद आपको भी अनेक इन्फेक्शन्स जिससे खासी बुखार या दमा हो सकता है बल्कि कई तरह के रोगों के संक्रमण भी ग्रसित हो सकते है। पानी मे आर्गेनिक रंगों जिनसे हानिकारक पदार्थ या सूखे गुलाल जिनमे शीशा के बुरादे न हो, उन्ही से अपने परिवार सहित होली खेलने का आनंद उठाये।
(डॉ अभिषेक रंजन - लेखक एम्स में वरीय चिकित्सक रह चुके हैं। )
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