नई दिल्ली: हमारे शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन पाया जाता है जिसका काम भोजन को ऊर्जा ने बदलना है और साथ ही खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करना है। मधुमेह(डायबिटीज़) वह स्थिति है जिसमें हमारे शरीर में इंसुलिन कम बनता है जिस कारण खून में ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुक़सान पहुंचाने लगता है। अतः महुमेह को धीमी मौत भी कहा जाता है।
आजकल लोगों की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी और अनियमित जीवनशैली ने इस बीमारी को घर करने का मौका दे दिया। यह बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। इस बीमारी का सबसे बुरा पक्ष है इसके साथ हृदय, किडनी, लिवर, आंखों व पैरों पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। पहले मधुमेह के रोगी चालीस पर की उम्र वाले ही होते थे परन्तु अब अवसाद या तनाव और उच्च रक्तचाप की समस्या के कारण छोटी उम्र के बच्चे भी इसके शिकार होते जा रहे हैं।
यदि आपको निम्नलिखित लक्षण खुद में लगते हैं तो आपको सतर्क होने की जरूरत है, यह लक्षण मधुमेह के भी ही सकते हैं -
मधुमेह का जड़ से इलाज संभव नहीं है परन्तु खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित करने वाली दवा खा कर या इंसुलिन के इंजेक्शन द्वारा इसके खतरे को नियंत्रित किया जाता है। मधुमेह में सिर्फ दवा खाने से काम नहीं चलता। दवा के साथ नियमित व्यायाम, चहलकदमी, संतुलित आहार भी हैं ज़रूरी। ज़्यादातर देखा गया है कि मधुमेह के रोगी यह तय नहीं कर पाते कि उनको खाने में क्या खाना चाहिए या क्या नहीं खाना चाहिए। यहां हम आपको बताएंगे कि मधुमेह रोगियों के लिए मूंगफली, जिसे लोग अक्सर मधुमेह रोगियों के लिए उचित नहीं समझते, कितना सुरक्षित विकल्प है।
मूंगफली मधुमेह के मरीजों के लिए कितना सही विकल्प है?
मूंगफली मूल रूप से दक्षिण अमरीका की पैदावार है जो भारत लाई गई थी। यह एक तिलहन (legume) फसल है। तिलहन फसल होने की वजह से मधुमेह में मूंगफली के सेवन से नुक़सान नहीं होगा। कई लेगुम्स में कार्बोहाइड्रेट होता है जो सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं है। इसलिए खून में शुगर को नहीं बढ़ने देते।
नेशनल पीनट बोर्ड के अनुसार,यदि मधुमेह रोगी को मूंगफली से एलर्जी नहीं है तो, वह मूंगफली का सेवन कर सकता है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 13 होता है जिसका अर्थ यह हुआ कि मधुमेह रोगी इसको खा सकता है यह GI की निर्धारित सीमा के तहत आता है। इसका सेवन फली या बटर (मक्खन) के रूप में भी किया का सकता है।
कैसे मधुमेह रोगी मूंगफली का इस्तेमाल अपने खाने में करें
मूंगफली चाट- मूंगफली की चाट आप डायबिटीज़ डाइट के साथ साथ वज़न कम करने के लिए भी कर सकते हैं। इस चाट को बनाने की विधि भी आसान है। मूंगफली के दाने को सूखा भून लें, फिर एक बड़े प्याले में लें, प्याज टमाटर छोटा छोटा काट के नींबू का जूस और नमक डाल कर मिला लें और खाएं।
पीनट बटर सैंडविच - पीनट बटर में एकल असंतृप्त वसा( मोनो सैचुरेटेड फैट) होती है जो शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं है। यह केलेस्ट्रोल के एचडीएल(जिसे good fat भी कहते हैं) अंश को बढ़ती है। तो पीनट बटर का इस्तेमाल आप शेक, स्मूदी और सैंडविच बनाने में भी के सकते हैं।
मूंगफली वाला पोहा - पोहा (या चिवड़ा) भारतीय नाश्ते का एक बेहतरीन विकल्प है। पोहा बनाते वक्त उसमें मूंगफली के दाने को डाल कर बनाया जा सकता है। इससे स्वाद के साथ पोष्टिक तत्वों में भी वृद्धि होगी।
बलूबेरी पीनट स्मूदी - यदि सुबह आपकी व्यस्त पलों के साथ गुजारती है तो नाश्ते में आप ब्लू बैरी और पीनट बटर डाल कर स्मूदी तैयार कर सकते हैं। यह न सिर्फ स्वाद से भरपूर होगा बल्कि पोष्टिक भी होगा। ब्लूबेरी के एंटीऑक्सीडेंट गुण और पीनट बटर के अच्छे फैट का लाभ, इससे बेहतर दिन की शुरुआत क्या होगी।