जब बच्चे छोटे होते हैं तो अक्सर घर के बड़े बुजुर्गों द्वारा बच्चों को डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे घी, पनीर, दूध दही खिलाने पर जोर दिया जाता है। लेकिन बड़े होने के बाद इसका सेवन आपके लिए चिंता का विषय बन जाता है। जी हां अधिकतर लोगों का मानना है कि घी का सेवन शरीर में कोलेस्ट्रोल लेवल में वृद्धि करता है। वजन कम करने के लिए घी से दूरी बनाना लाजमी है, लेकिन क्या आप जानते हैं आयुर्वेद में घी का इस्तेमाल वजन कम करने के लिए किया जाता है।
कैलोरी, सैचुरेटिड फैट, कैल्शियम, विटामिन और प्रोटीन से भरपूर देशी घी ना केवल वजन कम करने में कारगार है बल्कि यह मसल्स को भी स्ट्रॉन्ग बनाता है। साथ ही गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने व इनके संक्रमण से दूर रखने में भी कारगार होता है। हाल ही में अमेरिकन शोधकर्ताओं द्वारा घी को लेकर अध्ययन किया गया। ऐसे में आइए जानते हैं अध्ययन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
घी कैसे तैयार किया जाता है
भारत में लगभग हर घर में शुद्ध देशी घी का उपयोग और सेवन किया जाता है। मक्खन को मथ कर उसे गर्म कर घी बनाया जाता है। इसे गाय, भैंस और बकरी के दूध का बनाया जाता है। वहीं भारत में गाय के दूध के घी को अधिक ताकतवर और शुद्ध माना जाता है। फॉस्फोलिपिड्स की उपस्थिति के कारण घर पर बना शुद्ध देशी घी लंबे समय तक तरोताजा रहता है। यह बाजार में उपलब्ध घी से कई गुना अच्छा और ताकतवर होता है। हजारों वर्षों से आयुर्वेद में गाय के शुद्ध देशी घी का इस्तेमाल दवाई बनाने के लिए किया जाता है। वहीं सनातन धर्म में घी का धार्मिक अनुष्ठानों में पूजा पाठ, यज्ञ के लिए भी किया जाता है। घी को संस्कृत में घृत के रूप में जाना जाता है।
घी के बारे में आयुर्वेद क्या कहता है?
इसके लिए हम अमेरिकन लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के लेखक हरि शर्मा, शियाओइंग झांग और चंद्रधर द्विवेदी द्वारा प्रकाशित एक लेख पर नजर डालते हैं। आपको बता दें चंद्रधर द्विवेदी, साउथ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी में फार्माकोलॉजी के एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं। इन विशेषज्ञों द्वारा सीरम लिपिड स्तर और माइक्रोसोमल लिपिड पेरोक्सीडेशन पर घी के प्रभाव की जांच की गई। क्योंकि पिछले कई दशकों में एशियाई भारतीयों में कोरोनरी एर्टेनरी रोग यानि सीएडी के बढ़ते प्रसार में घी को फंसाया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक घी की रैंकिंग फैटी एसिड और कोलेस्ट्रॉल ऑक्सीकरण उत्पादों के कारण काफी गिर गई है।
आयुर्वेद के अनुसार घी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह जीवन जीने की क्षमता यानि दीर्घायु में मदद करता है और शरीर को कई गंभीर बीमारियों से निजात दिलाता है व इनके संक्रमण से दूर रखने में कारगार होता है।
द्विवेदी ने टाइम के साथ बातचीत के दौरान बताया कि घी का इस्तेमाल हर्बल दवा बनाने के लिए किया जाता है। घी सबसे पवित्र है और जब यह आपको दवा के साथ दिया जाता है, तो यह स्वास्थ्य लाभ के साथ आध्यात्मिक लाभ दोनों प्रदान करता है।
आध्यात्मिक पहलुओं के अलावा द्विवेदी ने बताया कि सैचुरेटिड फैट, कैल्शियम, विटामिन और प्रोटीन से युक्त घी का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता हैं। उन्होंने कहा कि घी के साथ सब्जियां या अन्य खाद्य पदार्थ पकाने या खाने से अधिक पोषक तत्व प्राप्त होता है। ज्यादातर लोगों में खासकर बच्चों को घी का स्वाद बेहद पसंद होता है।
घी को लेकर शोधकर्ताओं ने किया शोध
मनुष्यों पर किए गए शोध
यह भी जानें
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं के अनुसार सकारात्मक शोध, आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लेखित घी के स्वास्थ्य लाभ और हजारों वर्षों से घी का आयुर्वेद में चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किए जाने का समर्थन करते हैं। आपको बता दें इस लेख में उल्लेखित घी के स्वास्थ्य लाभ केवल सामान्य सूचना के लिए है। यदि आप घी का सेवन किसी बीमारी के उपचार के लिए करना चाहते हैं तो सबसे पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।