नई दिल्ली : 'ऐसे मरीज जिनमें कोविड-19 का लक्षण नहीं है, उन्हें आइसोलेशन में रखने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनसे मुश्किल से महामारी दूसरों में फलती है? लेकिन क्या डब्ल्यूएचओ ने इस तरह का बयान दिया है? क्योंकि डब्ल्यूएचओ की प्रेस ब्रीफिंग का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इस वीडियो का हवाला देकर कहा जा रहा है कि संस्था ने कोविड-19 संक्रमण पर अपनी पहले की बात से 'यू टर्न' ले लिया है। आइए जानते हैं कि इस वायरल वीडियो और उस पर किए जा रहे दावे के बारे में।
डब्ल्यूएचओ के वीडियो पर दावा
इस वायरल वीडियो में कोरोना संकट पर डब्ल्यूएचओ की टेक्निल हेड एवं महामारी विशेषज्ञ मारिया वैन केरखोवे को यह कहते हुए सुना जा सकता है, 'हमारे पास जो आंकड़े मौजूद हैं उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि ऐसा व्यक्ति जिसमें कोविड-19 से संक्रमित होने का लक्षण नहीं है, वह शायद ही किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।' यह वीडियो सोशल मीडिया में तेजी के साथ वायरल हो रहा है। ट्विटर और फेसबुक पर इस वीडियो को पोस्ट कर लिखा जा रहा है, 'बड़ी खबर: अविश्वनीय! बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों को आइसोलेशन में रखने की जरूरत नहीं...डब्ल्यूएचओ का पूरी तरह से यू-टर्न। दुनिया की अर्थव्यवस्था को तबाह करने के बाद डब्ल्यूएचओ का यू टर्न!'
डब्ल्यूएचओ ने कहा-उसके पास जवाब नहीं
कोविड-19 संक्रमण का लक्षण न रखने वाले मरीजों से जुड़े एक सवाल के जवाब में केरखोवे ने अपनी प्रेस ब्रीफिंग में कहा, 'हम लगातार इस डाटा पर नजर बनाए हुए हैं। इस सवाल का सही जवाब देने के लिए हम देशों से और जानकारियां हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि बिना लक्षण वाले मरीज मुश्किल से किसी और को संक्रमित कर पाता है।' हालांकि अगले दिन डब्ल्यूएचओ ने सफाई दी कि बिना लक्षण वाले मरीजों से संक्रमण फैलने के बारे में उसके पास कोई जवाब नहीं है।
दरअसल, डब्ल्यूएचओ ने यह बात तो कही कि बिना लक्षण वाले मरीजों से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलना का खतरा बहुम कम है लेकिन बाद उसने यह भी स्पष्टीकरण दिया कि इस बात की पुष्टि करने के लिए उसके पास पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि वैज्ञानिक अभी भी इस दिशा में अध्ययन कर रहे हैं।